एमबीएम न्यूज़/हमीरपुर
हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छे स्कूल में पढ़े और एक कामयाब इंसान बनकर नाम रोशन करे। इसके लिए ज्यादातर माता-पिता अच्छे निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए पूरा जोर लगा देते हैं। लेकिन हिमाचल के हमीरपुर जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जो निजी स्कूलों की सुविधाओं को धता बताकर अभिभावकों को बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी तरफ खींच रहा है। बेहतर शैक्षणिक माहौल एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के चलते अनेकों अभिभावकों ने अपने बालकों को कई निजी स्कूलों से निकालकर सरकारी स्कूल में दाखिला कराया है। बमसन तहसील के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी में अभिभावक अब निजी स्कूलों से बच्चों को निकाल कर इस सरकारी स्कूल में पढ़ा रहे हैं। सरकारी स्कूल के अध्यापकों की मेहनत से ही यह सम्भव हो पाया है।
50 बच्चों ने छोड़े निजी स्कूल
2019 में करीब 50 बच्चों ने निजी स्कूल छोड़कर टौणी देवी स्कूल में एडमिशन लिया। इनमें छठी से दसवीं क्लास तक के बच्चे शामिल हैं। ऐसे में यह स्कूल दूसरे सरकारी स्कूलों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया है। इसके पीछे सरकारी शिक्षकों की मेहनत है। स्कूल प्रिंसिपल के मुताबिक़ जमा एक में प्रवेश के लिए सौ से ज़्यादा प्रॉस्पेक्टस बिक चुके हैं।
दीवारें बांट रही ज्ञान
स्कूल के क्लास रूम हाईटेक तरीके से तैयार किए गए हैं। ऐसे में बच्चों को क्लास रूम में खेल-खेल में पढ़ने का मौका मिलता है। स्कूल की दीवारों पर कई चार्ट लगाए गये है। इससे बच्चों को सीखने में दिक्कत नहीं आती। स्कूल में इको क्लब, एनएसएस तथा स्क़ाऊट एंड गाईड की यूनिट बच्चों में मानवीय गुणों तथा अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं।
स्कूल में क्या है विशेष
सीसीटीवी कैमरे, स्वच्छता अभियान, सेव वाटर, मिड-डे-मील, नैपकिन वेंडिंग मशीन, बास्केटबॉल तथा वॉलीबॉल कोर्ट जैसी सुविधाओं ने निजी स्कूलों के बच्चों को अपनी ओर खींचा है। इस बारे में वंदना धीमान, प्रिंसिपल राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी ने बताया कि स्कूल के शिक्षकों की मेहनत रंग ला रही है।
निजी स्कूलों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए लौट रहे हैं। 2018 में छठी से जमा दो के बच्चों की संख्या 388 थी जो 2019 में तक 375 तक पहुंच गई है। अभी सौ से अधिक प्रॉस्पेक्टस जमा एक में प्रवेश के लिए बिक चुके हैं। स्कूल में जमा दो तक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।