एमबीएम न्यूज़/शिमला
गुडि़या केस से जुड़े सूरज लॉकअप मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर आईपीएस अफसर व पूर्व आईजी जहूर जैदी 20 माह बाद शिमला के कंडा जेल से रिहा होने के बाद सोमवार को यहां पुलिस मुख्यालय पहुंचे। जानकारी अनुसार वह रिपोर्ट करने के लिए मुख्यालय आए, लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते उनकी ज्वाइनिंग नहीं हो पाई।
दरअसल लॉकअप मामले में गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार ने जैदी को निलंबित कर दिया था और अभी भी वह निलंबित चल रहे हैं। प्रदेश सरकारी की मंजूरी के बाद ही वह बहाल होंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जहूर जैदी की बहाली के लिए पुलिस मुख्यालय की तरफ से गृह विभाग को दस्तावेज भेज दिए गए हैं।
प्रदेश पुलिस के डीजीपी एसआर मरडी ने बताया कि आईजी जहूर जैदी निलंबन पर हैं और इस अवधि में वे सिर्फ हाजिरी ही लगाएंगे। सरकार की इजाजत के बाद उन्हें बहाल कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने जैदी को जमानत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों में कहा है कि जैदी को ट्रायल कोर्ट की ओर से निर्धारित की जाने वाली शर्तों का पालन करना होगा।
जुलाई 2017 में कोटखाई के हलाहला जंगल में गुडि़या की रेप के बाद जघन्य तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में हिमाचल पुलिस की एसआईटी ने सूरज समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया था। सूरज की 18 जुलाई 2017 की रात्रि कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। इस मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ा और हाईकोर्ट ने गुडि़या व सूरज मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया।
सीबीआई ने सूरज लॉकअप मामले में 29 जुलाई 2017 को पूर्व आईजी जैदी समेत आठ पुलिस वालों को गिरफ्तार किया था। शिमला के पूर्व एसपी डीडब्लयू नेगी को सीबीआई ने नवंबर 2017 में गिरफ्तार किया। जैदी ने जमानत के लिए प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद उन्होंने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।