दिनेश कुंडलस/शिमला
पहले बेटे की शादी में व्यस्त व लोकसभा चुनावों पर अब तक चुप्पी साधे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनावी हुंकार भरी है। मंगलवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर वीरभद्र सिंह ने मंडी से चुनाव लड़ने के संकेत देकर विरोधी खेमे में हलचल मचा दी है। जहां भाजपा अपनी ही पार्टी के टिकट दावेदारों से निपटने में जुटी है, वहीं वीरभद्र के चुनावी ताल ठोकने से भाजपाईयों की कंपकपी बढ़ी है।
भाजपा पंडित सुखराम के पोते आश्रय के टिकट की दावेदारी ठोकने से पहले ही परेशानियों से घिरी हुई है। ऐसे में वीरभद्र सिंह के चुनाव लड़ने के ऐलान से भाजपा खेमे में हलचल होना स्वाभाविक है। पिछले कई दिनों से जब भी वीरभद्र सिंह से चुनाव लड़ने के बारे में पूछा जाता था, तो वह हमेशा यह कहकर टाल देते थे कि उनकी चुनाव लड़ने की कोई मंशा नहीं है। कई दफा तो वह यह भी कह देते थे कि कोई मकरझंडू ही चुनाव लडे़गा। कौल सिंह भी चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं। तीसरी व चौथी पंक्ति के कई नेताओं ने हालांकि टिकट के लिए आवेदन किए हैं।
वहीं मंडी में कांग्रेसी लगातार वीरभद्र सिंह या उनके परिवार के किसी सदस्य को मंडी से टिकट देने की पैरवी कर रहे थे। प्रदेश कांग्रेस भी वीरभद्र सिंह को मंडी से कांग्रेस का टिकट देने के लिए दिल्ली दरबार तक गुहार लगा चुकी है। 14 मार्च को विक्रमादित्य ने भी अपने फेसबुक पेज पर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने की बात कही थी। साथ ही कहा था कि अगर पार्टी हाईकमान की इच्छा होगी तो वो चुनावी मैदान में जरूर उतरेंगे।
गौरतलब है कि मंडी संसदीय क्षेत्र वीरभद्र सिंह व उनके परिवार की कर्मभूमि रही। 1971 से 2014 तक वह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह यहां से 7 बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वीरभद्र सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा था कि आप सभी का भरपूर प्यार व समर्थन मुझे सदैव मिलता है। मंडी संसदीय क्षेत्र से जीत सुनिश्चित करने के लिए वह हर चुनौती के लिए तैयार हैं। उनका लक्ष्य राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद पर पहुंचाना है।