एमबीएम न्यूज/शिमला
लगातार चार बार असफल होने के बाद भी होनहार बेटी अपराजिता चंदेल ने हार नहीं मानी। सोमवार दोपहर वो पल आए, जब एचएएस 2017 की परीक्षा में टॉपर बनने का गौरव हासिल कर लिया। बिलासपुर अस्पताल में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात राकेश चंदेल की होनहार बेटी की सफलता उन युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा है, जो असफलता के बाद हताश हो जाते हैं।
28 साल की अपराजिता चंदेल इससे पहले चार मर्तबा एचएएस की परीक्षा में असफल हो गई थी। लेकिन हिम्मत नहीं हारी। देश की राजधानी में आर्मी मुख्यालय में अनुभाग अधिकारी के तौर पर कार्यरत अपराजिता अपने मामा राकेश चौहान को रोल मॉडल मानती हैं। मां मीना चंदेल इस समय हमीरपुर अस्पताल में वार्ड सिस्टर के पद पर कार्यरत हैं। बचपन से ही मामा राकेश चौहान को अव्वल देखती आई। इस समय वो एक्सईएन बनने के बाद चंडीगढ़ में डैपुटेशन पर हैं। खास बातचीत के दौरान अपराजिता ने कहा कि माता-पिता का योगदान सर्वोपरि है। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक पढ़ाई बिलासपुर में करने के बाद जब मम्मी को हमीरपुर में रि सैटलमेंट करनी पड़ी।
चार बार असफलता के बाद….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब अपराजिता से सीधा सवाल पूछा कि परीक्षा का कौन सा प्रयास था तो बेहिचक बताया कि पांचवी कोशिश में सफलता मिली है। एचएएस टॉपर का कहना था कि कई बार हताशा होती थी, लेकिन इससे उबरने के भी कई उपाय तलाश लिए गए। केवल एक ही लक्ष्य बनाया था कि बेहतरीन रैंक हासिल कर एचएएस अधिकारी बनना है।
सबसे पहले कैसे मिली सूचना….
आयोग से ही अपराजिता को एचएएस अधिकारी बनने की सूचना फोन पर मिली। रैंक को लेकर आश्वस्त अपराजिता ने जब पूछा, कौन सा रैंक मिला है तो बताया गया कि टॉप किया है। इस पर होनहार बेटी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। माता-पिता के अलावा मामा को सबसे पहले अपनी सफलता की जानकारी दी। इस बारे अपराजिता का कहना है कि चूंकि कार्यालय में अधिकारी व अधीनस्थ कर्मचारी साथ ही थे तो उनके साथ सबसे पहले खुशी के पल सांझा किए।
सफलता के टिप्स….
एनआईटी हमीरपुर से कंप्यूटर साईंस में बीटेक कर चुकी अपराजिता का कहना था कि सरकार की विष्वसनीय वैबसाइट को सर्वश्रेष्ठ स्त्रोत माना। टू द प्वाइंट स्मार्ट स्टडी के अलावा एचएएस के पाठ्यक्रम पर ध्यान केंद्रित किया। हर वक्त अपने साथ पाठ्यक्रम रखती थी। हर सामग्री को हाथ से लिखने की प्राथमिकता रहती थी। लिमिटेड सोर्स का फार्मूला बनाया हुआ था। हिमाचल के इक्नोमिक सर्वे के अलावा बजट का गहराई से अध्ययन किया। दोस्तों के साथ संवाद भी फायदेमंद साबित होता है। समय की बर्बादी पर अंकुश लगाया। सरकारी नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई के लिए एक सटीक टाइम टेबल काम आया। सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखना भी जरूरी है।
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