दिनेश कुंडलस/शिमला
पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव की कमान एक वरिष्ठ व काबिल अधिकारी के हाथों में है। फरवरी 2019 में राज्य सरकार ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद के लिए तीन आईएएस अधिकारियों का पैनल केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजा था। इसमें बागडोर देवेश कुमार को सौंपी गई है। आईएएस अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के बाद पद रिक्त हुआ था। पैनल में देवेश कुमार के अतिरिक्त पूर्णिमा चौहान व डॉ. अजय शर्मा को शामिल किया गया था।
मूलतः बिहार के रहने वाले देवेश कुमार ने 1997 में यूपीएससी की परीक्षा में देश भर में टॉप कर परिवार व पैतृक राज्य को गौरवान्वित किया था। 1991-95 बैच में आईआईटी खड़गपुर से कैमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले देवेश कुमार ने यूपीएससी की परीक्षा में 1462 अंक हासिल कर पहला स्थान प्राप्त किया था। इस परीक्षा में देवेश ने कैमिस्ट्री के अलावा जियोग्राफी को वैकल्पिक विषय बनाया था। बेदाग छवि के आईएएस अधिकारी व मृदुभाषी देवेश कुमार बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। प्रदेश में कई अहम ओहदों के अलावा सचिवालय में भी महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं।
करीब 24 साल की उम्र में आईएएस का टॉपर बनने का गौरव हासिल किया था। छोटे से पहाड़ी राज्य को आईएएस टॉपर का मिलना भी गर्व की बात थी। खास बात है कि टॉपर होने के नाते देवेश कुमार को संभवतः किसी भी बड़े राज्य में तैनाती मिल सकती थी, लेकिन उन्होंने अपने स्वभाव के अनुरूप शांत प्रदेश को चुनने का फैसला लिया।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी का पद संभालने से पहले देवेश कुमार आईपीएच विभाग के सचिव के तौर पर तैनात थे। इसके अलावा कुछ विभागों का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाल रहे थे। इससे पहले कैरियर के आगाज में वह कई सालों तक मंडी जिला के लोकप्रिय डीसी रहे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के डैस्क पर देवेश कुमार लिखते हैं कि हरेक नागरिक को स्वतंत्र रूप से अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है।