एमबीएम न्यूज़/शिमला
छात्र अभिभावक मंच ने राजधानी शिमला के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी,लूट खसोट व भारी फीसों के खिलाफ बुधवार को उच्चतर शिक्षा निदेशालय लालपानी के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद मंच का एक प्रतिनिधिमंडल मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा की अगुवाई में संयुक्त शिक्षा निदेशक उच्चतर शिक्षा से मिला व उन्हें चौदह सूत्रीय मांग पत्र सौंपकर प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग की।
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि भारी फीसों के खिलाफ मंच का प्रतिनिधिमंडल 16 मार्च को शिक्षा मंत्री से मिलेगा। अगर इसके बावजूद भी प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों पर नकेल न लगाई तो आंदोलन को और तीव्र किया जाएगा। उन्होंने प्रदेश सरकार से निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की है।
मंच ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि उसकी निजी स्कूलों के प्रबंधन के साथ मिलीभगत है। इस कारण ही इन स्कूलों में प्रवेश,पाठ्यक्रम व फीस को संचालित करने के लिए कोई कड़ा कानून नहीं बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पर निजी स्कूल प्रबंधनों से मिलीभगत का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा है कि शिमला शहर में प्राइवेट स्कूलों में छात्रों की लूट की होड़ लगी है। शहर में प्राइवेट स्कूलों में अट्ठाईस हजार से लेकर 48 हजार रुपये फीस वसूली जा रही है। मेहरा ने कहा कि प्राइवेट स्कूलों में फीस की यह असमानता स्पष्ट बता रही है कि प्राइवेट स्कूलों की कार्यप्रणाली अराजक है व ये स्कूल सब कुछ मनमर्जी अनुसार करते हैं। शहर में चल रहे ज्यादातर नामी स्कूलों में बच्चों की संख्या 1800 से ऊपर है व जो फीस ये वसूल रहे हैं उसके हिसाब से हर स्कूल सालाना लगभग 8 करोड़ रुपये कमा रहा है। इस आय में हर स्कूल का विभिन्न मदों में खर्चा लगभग 3 करोड़ रुपये है।
इस तरह हर स्कूल का सालाना शुद्ध मुनाफा 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि ये स्कूल अगर फीसें आधी भी कर दें तो भी ये स्कूल सालाना करोड़ों रुपये कमाएंगे अतः साफ है कि स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर भारी लूट की जा रही है और इस पर अंकुश लगना चाहिए।