वी कुमार/मंडी
कोटरोपी घटनास्थल के पहाड़ में सात बेसहारा गाय ऐसी जगह फंस गई जहां आने जाने का कोई भी रास्ता नहीं था। गहरी ढांक होने के कारण एक गाय नीचे लुढ़क कर जख्मी हो गई। जबकि 6 गायों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया। ढांक से लुढ़की गाय को आंशिक चोटें आई हैं। वेटरनरी फार्मासिस्ट को घटनास्थल पर बुला कर गाय का उपचार किया गया।
जानकारी अनुसार ये सातों बेसहारा गाय मंडी-पठानकोट राष्ट्रीय उच्च मार्ग में करीब तीन माह पहले रातों रात छोड़ी गई हैं। उरला से लेकर कोटरोपी तक ये गाय दिन भर सड़क किनारे घूमती रहती थी। वहीं रात्रि को आस पास लगते खेतों में अपना पेट भरती थी। रविवार रात को किसी शरारती तत्व ने इन गायों को जगेहड़ जंगल में छोड़ दिया। जहां से सुबह के समय जंगल से गुजरती हुई ये गाय कोटरोपी घटनास्थल के पहाड़ के टॉप में पहुंच गई। जहां अंधेरे में ये गाय पहाड़ के मुहाने के बीच मे ऐसी जगह फंस गई जहां न आगे जाने को कोई रास्ता था और न ही पीछे वापिस मुड़ सकती थी।
घटना का पता कोटरोपी एनएच में कार्य कर रही लोक निर्माण विभाग के मजदूरों को चला। जिन्होंने इसकी सुचना पंचायत उप प्रधान पूर्ण चंद सहित उरला के ग्रामीणों को दी। पंचायत उप प्रधान पूर्ण चंद ने एसडीएम पधर निवेदिता नेगी को मामले से अवगत करवाया। जिसके बाद पधर पुलिस और जोगिंदरनगर से फायर ब्रिगेड तथा होमगार्ड दल रेस्क्यू के लिए घटनास्थल पर पहुंचा। चार घंटे से अधिक समय तक कड़ी मशक्कत उपरांत लगभग सौ मीटर से अधिक रास्ता बना कर पहाड़ी में फंसी सभी 6 गाय को सुरक्षित निकाला गया।
रेस्क्यू में स्थानीय युवाओं पंचायत प्रधान रेखा देवी, उप प्रधान पूर्ण चंद, कृष्ण भोज, रमेश चंद, मौनी राम, रमेश गुरुकुल, तिलक राज, बुद्धि सिंह, नवीन शर्मा, सुनील शर्मा, हेमकांत, दलीप कुमार, ज्ञान चंद, वेटरनरी फार्मासिस्ट ओम प्रकाश, जोगिंदरनगर फायर ब्रिगेड दल से गृह रक्षक प्रशामक, जय पाल, चालक विकास ठाकुर, जोगिंदर सिंह, राकेश कुमार सहित अन्य जगेहड़ गांव की महिलाओं ने भरपूर मदद की। एसडीएम पधर निवेदिता नेगी ने इस कार्य में सहयोग के लिए सभी का आभार जताया। उन्होंने बताया कि सभी के सहयोग से गायों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।