एमबीएम न्यूज/नाहन
सिरमौर के राजगढ़ उपमंडल के तहत डिब्बर गांव में पशु चिकित्सकों ने एक दुधारू गाय को नवजीवन देने में सफलता अर्जित की है। खास बात यह है कि गाय की सर्जरी टॉर्च की लाइट में की गई। दरअसल गाय के पेट में एक बछड़ा जन्म नहीं ले पा रहा था। इसकी वजह उसका करीब 50 किलो का वजन था। इससे गाय की जान भी खतरे में थी। इस सर्जरी को शनिवार देर दोपहर बाद मौके पर ही अंजाम दिया गया क्योंकि गर्भ में करीब 50 किलो का बछड़ा होने की वजह से लाचार गाय हिल भी नहीं पा रही थी।
पशु चिकित्सा के क्षेत्र में इस तरह के बछड़े को मॉन्सटर कहा जाता है। जानकारी के मुताबिक गाय पहला प्रसव था। उल्लेखनीय है कि प्रसव के बाद गाय दूध देना शुरु कर दिया है। टॉर्च की रोशनी के सहारे में किए गई सर्जरी के बाद डॉ मनोज कौशिक व डॉ सुरेंद्र चौहान भी दंग रह गए, क्योंकि गाय के गर्भ में पल रहे बच्चे का वजन 50 किलो से भी अधिक था। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि मॉन्सटर का जन्म दुर्लभ नहीं है , लेकिन मौके पर की गई सर्जरी अहमियत रखती है। इससे न केवल गाय का जीवन बचा है, बल्कि परिवार को भी गाय के दूध से आमदनी होगी।
डिब्बर गांव के चतर सिंह में द्राबला पशु औषधालय को गाय की हालत के बारे में सूचित किया। इसके बाद मौके पर ही चिकित्सकों की टीम ने टॉर्च के सहारे सर्जरी को करने में सफलता हासिल की है। जन्म लेते ही बछड़े की मौत हो गई। पशुपालन विभाग की उप निदेशक डॉक्टर नीरू शबनम का कहना है कि अमूमन बछड़े का वजन 35 किलो के आसपास रहता है। मॉन्सटर के जन्म के तकरीबन 10% मामले आते हैं।