दिनेश कुंडलस/नाहन
चंद मिनटों में मां की लोरी सुनकर नींद के आगोश में चले जाने वाले मासूम शनिवार को चीखों-पुकार से भी नहीं उठे। निजी स्कूल हादसे के ह्दय विदारक मंजर देखकर हर कोई स्तब्ध था तो हर किसी की आंखें नम थी। घटनास्थल से नाहन तक कराहते बच्चों को देखकर हर कोई विचलित हो उठा। लेकिन वाह री सरकारी व्यवस्था। एक के बाद एक सड़क हादसों में लोग जानें गंवा रहे हैं। इस बार तो 6 नन्हें मासूमों ने अपनी जान देकर सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की है।
हर कोई इस सवाल का जवाब तलाश कर रहा है कि कब सड़कें सुरक्षित होंगी। मंत्री व विधायकों के अलावा निगम व बोर्डों के चेयरमैनों के भत्तों में बढ़ोतरी करने के तरीके ढूंढे जाते रहे हैं, लेकिन इसकी बजाय क्या सड़कों को सुरक्षित करने के बारे में भी कोई सोचेगा। करीब पांच सालों से क्रैश बैरियर लगाए जाने को लेकर मीडिया ने भी अहम भूमिका निभाई है, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है। यही कारण है कि तकनीकी खराबी या चालक की मामूली सी चूक से वाहन हजारों फीट गहरी खाई में समा जाते हैं।
पिछले 48 घंटों के भीतर तीन सड़क हादसों मे 6 बच्चो सहित 10 लोगों ने जान गंवा दी है, जबकि एक दर्जन चोटिल हुए हैं। तीनों ही हादसों में स़ड़क किनारे क्रैश बैरियर की कमी खली। अब तक यह नहीं पता है कि मीनू कोच बस हादसे में मैजिस्ट्रियल जांच में क्या पाया गया है। लेकिन फिर इस हादसे की मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश डीसी ललित जैन ने दिए हैं।
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फिर बन जाएगा एक मंदिर…..
सिरमौर के दुर्गम इलाकों की खतरनाक सड़कों के किनारे मंदिरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आप सोच रहे होंगे, ऐसा क्यों। ऐसा इसलिए कि जिस जगह पर वाहन खाई में गिरता है, उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए कर दिया जाता है। अकेले शिलाई व संगड़ाह उपमंडल में ही सड़क किनारे बने मंदिरों की संख्या 6 से 7 दर्जन के बीच हो सकती है। विडंबना है कि मंदिर तो स्थानीय लोग बना लेते हैं, लेकिन सरकार क्रैश बैरियर नहीं लगा पाई है। बहरहाल यह मंदिर सड़क हादसों की गवाही देने के लिए मजबूती से खडे़ हुए हैं।
यह भी हैं आंकड़े…..
संगड़ाह उपमंडल में करीब 700 किलोमीटर सड़कों पर करीब पांच साल में चार दर्जन के करीब वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। मृतकों का आंकड़ा 125 के आसपास है। हादसों से मिलने वाले जख्मों से दर्जनों लोग आज भी अपंगता का जीवन जी रहे हैं। 2013 व 2014 में तीन निजी बस हादसों में करीब 48 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। खस्ताहाल सड़कें, ओवरलोडिंग के अलावा अन्य कारण रहे। अब तो हद ही इस बात की हुई है कि स्कूल बस ही हादसे की शिकार हो गई।
घटनास्थल पर दौरा करने वाले अधिकारियों का कहना है कि चालक ने बस में ब्रेक लगाने की भरसक कोशिश की। अगर क्रैश बैरियर या पैराफिट होता तो बस खाई में लुढ़कने से बच भी सकती थी। संगड़ाह के डीएसपी अनिल धोल्टा ने मौके का दौरा करने के बाद कहा कि मौके पर सड़क काफी चौड़ी थी। ब्रेक लगने के निशान भी नजर आ रहे हैं। उन्होंने माना कि क्रैश बैरियर होने की सूरत में हादसा टल सकता था।