एमबीएम न्यूज/शिमला
27 दिसंबर 2017 जयराम सरकार ने शपथ ग्रहण की। हरेक हिमाचली की उम्मीदों को पंख लग गए। धर्मशाला में 27 दिसंबर 2018 को पहली वर्षगांठ का जश्न मनाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में वृतचित्र के माध्यम से सरकार की उपलब्धियों का जमकर महिमा मंडन किया गया, मगर जयराम सरकार का पहला साल बस किरायों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी के लिए भी पहचाना जाएगा। सरकार का यह कदम तीन महीने बाद भी लोगों के गले नहीं उतर रहा। 25 सितंबर को मंत्रिमंडल की बैठक में 25 फीसदी तक बस किरायों में इजाफा कर दिया गया। विपक्ष ने सरकार को यह फैसला निजी बसों के दबाव में उठाने का आरोप लगाया।
आम आदमी पर बस किरायों में बेतहाशा वृद्धि की मार लगातार पड़ रही है। तीन महीनों में मामूली सी राहत तो दी गई, लेकिन अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि जब 18 अक्तूबर के बाद से अब तक डीजल की कीमत करीब 12 रुपए प्रति लीटर घट चुकी है और पैट्रोल के दाम लगभग 14 रुपए गिरे हैं तो जयराम सरकार बस किरायों में बदलाव करने को लेकर कदम क्यों नहीं उठा रही। जानकारों की मानें तो रविवार को भी 22 पैसे की कटौती हुई। लेकिन सरकार राहत देने के मूड में नजर नहीं आ रही। हालांकि यह समझा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से
पहले सियासी मुनाफा उठाने के मकसद से ही बस किरायों की दरों में कटौती की जा सकती है।
अहम बात यह है कि सरकार ने जब से किराए बढ़ाए हैं, तब से ही डीजल व पैट्रोल के दामों में लगातार कटौती हो रही है। अगस्त माह में डीजल व पैट्रोल की दरें उच्चतम स्तर पर थी। इसके चंद सप्ताह के भीतर ही बस किरायों में बढ़ोतरी कर दी गई। डीजल व पैट्रोल से जुडे़ जानकारों की मानें तो अगले कुछ दिनों में पैट्रोल व डीजल के खुदरा मूल्यों में ओर भी गिरावट आ सकती है। सनद रहे कि राज्य सरकार ने सामान्य बस किरायों में मैदानी इलाकों में 20.68 व पहाड़ी क्षेत्रों में 24.44 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
अहम बात यह भी है कि बसों के डिपो अपने-अपने स्तर पर किरायों की वसूली कर रहे हैं। इसमें भी अंतर की खबरें सामने आ रही हैं। कुल मिलाकर नए साल के आगमन पर जयराम सरकार से यह भी सवाल पूछा जा रहा है कि जब पैट्रोलियम पदार्थों के दाम गिर रहे हैं तो बस किराए क्यों नहीं घट रहे।
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