एमबीएम न्यूज/नाहन
ठिठुरन भरी सर्दी में प्रकृतिक झील श्री रेणुका जी का तट विदेशी परिंदों के कारण और खूबसूरत हो गया है। परिंदों को देखने के लिए पर्यटकों का तांता लगना शुरू हो रहा है। स्थानीय लोग झील के किनारे विदेशी परिंदों का कलरव देखने के लिए शाम के समय एकत्रित होते हैं। गौर हो कि हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर यह विदेशी मेहमान प्रतिवर्ष रेणुका पहुंचते हैं। दिसंबर माह के पहले सप्ताह से ही इनका आगमन शुरू हो जाता है। यह परिंदे तीन माह यहां बिताने के बाद फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में यहां से स्वदेश लौट जाते हैं। इन दिनों 12 प्रजातियों के 286 परिंदे अभी तक रेणुका में डेरा डाल चुके हैं। जिनमें से तीन नई प्रजातियों ने पहली मर्तबा यहां दस्तक दी है। जिनमें रैड क्रिस्टड पोचड, व्हाइट ब्रिस्टिड वाटर हैन व स्टिक ब्रिड किंग फिशर शामिल हैं।
रेणुका झील का शांत वातावरण इन दिनों इन मेहमान पक्षियों की चहचाहट से गूंज रहा है। वन्य प्राणी विभाग की ओर से भी इन मेहमान पक्षियों की सुरक्षा के लिए पुख्ता प्रबंध किए हैं। जहां सीसीटीवी कैमरों के जरिए इन पक्षियों पर नजर रखने जाने के साथ ही इन्हें पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जा रही है। एक दर्जन के करीब सीसीटीवी कैमरों को परिक्रमा मार्ग पर स्थापित किया जा चुका है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष 12 प्रजातियों के 286 परिेंदे रेणुका में विचरण कर रहे हैं। इनमें मैलाड 14, कॉमन कूट 23, मोरहन 220, रेड क्रिस्टिड पोचड 1, कॉमन पोचर्ड 1, इंडियन मिडिट इग्रिट 2, लिटल इग्रिट 1, ग्रेट कारमोरेंट 4, लिटिल कारमोरेंट 1, व्हाइट ब्रिस्टिड वाटर हैन 10, इंडियन मोरहन 8 व स्टिक ब्रिड किंग फिशर 1 शामिल हैं। यदि वर्षा होती है तो इन पक्षियों की संख्या में अधिक इजाफा होने की संभावना है।
वन्य प्राणी विहार रेणुका के आरओ अश्वनी कुमार ने बताया कि इस वर्ष रेणुका झील के अंतिम झील में जलभराव अधिक होने के कारण विदेशी परिंदों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। तीन प्रजातियों ने पहली बार दस्तक दी है। अभी इनकी संख्या बढऩे की उम्मीद है।
नम भूमि… .
साइबेरिया से कई हजारों किलोमीटर से दूर से आने वाले विदेशी परिंदों को नम भूमि वातावरण पसंद होता है, जहां वे प्रवास करते हैं। श्री रेणुका जी में नम भूमि वातावरण पर्याप्त मात्रा में है जो विदेशी परिंदों को पसंद है।