अमरप्रीत सिंह/सोलन
औद्योगिक क्षेत्र बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ को झुग्गी-झोंपड़ी मुक्त बनाने की दिशा में सरकार के निर्देशों पर बीबीएन विकास प्राधिकरण द्वारा आरंभ किए गए प्रयास सार्थक होते दिख रहे हैं। बुधवार को खुले दरबार में 43 भूमि मालिकों को उनकी भूमि पर कम लागत के मकान बनाने की स्वीकृति प्रदान की गई। इस भूमि पर 1250 मकान बनाए जा सकेंगे। इनमें करीब सात हजार प्रवासी मजदूरों के रहने की व्यवस्था होगी। बता दें कि बीबीएन क्षेत्र में हजारों की संख्या में झुग्गी-झोंपडिय़ां बनी हुई हैं। इनमें कुछ सरकारी भूमि पर कब्जा करके बनाई गई हैं। अधिकतर झुग्गी-झोंपडिय़ां निजी भूमि पर हैं। जिनसे भूमि मालिक हर माह तय किराया वसूलते हैं।
लेकिन अब यदि प्रशासन के प्रयास सफल रहे तो बीबीएन जल्द ही झुग्गी-झोंपड़ी मुक्त औद्योगिक क्षेत्र बन सकता है। प्राधिकरण ने इसके लिए गंभीरता से प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। बुधवार को बीबीएनडीए कार्यालय के प्रांगण में खुला दरबार आयोजित किया गया। इस खुले दरबार के आयोजित होने की कई दिन पहले ही घोषणा कर दी गई थी। कहा गया था कि अपनी भूमि पर कम लागत के मकान बनाने के इच्छुक भूमि मालिकों को तुरंत अनापत्ति प्रमाणपत्र और स्वीकृति प्रदान की जाएगी। इसका नतीजा यह हुआ कि खुले दरबार में कई भूमि मालिक पहुंचे। उन्होंने कम लागत के मकान बनाने के लिए आवेदन किया। इसके लिए किसानों से किसी भी प्रकार की फीस नहीं ली गई।
बीबीएनडीए के सीईओ केसी चमन ने बताया कि बुधवार को 43 भूमि मालिकों को उनकी भूमि पर कम लागत के मकान बनाने की स्वीकृति प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि इन स्वीकृत स्थानों पर लगभग 1250 कम लागत के मकान बनाए जा सकेंगे। जिनमें करीब सात हजार मजदूर वर्ग के लोगों को रहने की व्यवस्था होगी। उन्होंने कहा कि जल्द ही पूरे बीबीएन में सरकारी व निजी क्षेत्र में बनी झुग्गियों को हटाने का कार्य आरंभ कर दिया जाएगा ताकि बीबीएन को झुग्गी-झोंपड़ी मुक्त बनाया जा सके।
केसी चमन ने बताया कि भूमि मालिक को बीबीएनडीए से स्वीकृति मिलने के बाद उन्हें बैंक से भी आसानी से ऋण मिल सकेगा। प्राधिकरण के निर्धारित मापदंडों के अनुसार वहां कम लागत के मकान बना कर वह स्थाई आय भी प्राप्त करने लगेंगे। इस मौके पर अतिरिक्त सीईओ सुधीर शर्मा, टीसीपी गणेश लाल, एटीपी राजेश कोंडल, कानूनगो सुलेमान, जेई विकास परमार व पटवारी चेत राम के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे।