वी कुमार /मंडी
हिमाचल के लाखों लोग अब डीडी शिमला से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम नहीं देख पाएंगे क्योंकि केंद्र सरकार ने प्रदेश के 44 दूरदर्शन टावरों को 16 व 17 नवंबर से बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। दूरदर्शन महानिदेशालय के आदेश पर इन्हें युक्तिकरण का नाम देकर बंद किया जा रहा है। तर्क यह है कि लोगों को डीडी के अधिकांश चैनल फ्री डीटीएच डिश के माध्यम से मिल रहे हैं तो 15 साल से चल रहे टावरों को चलाए रखना सही नहीं है। अब केवल प्रदेश में तीन ही दूरदर्शन के टावर रह जाएंगे जिनमें शिमला, कसौली और धर्मशाला है जिनका सिग्नल सीमित क्षेत्रों तक ही आता है। प्रदेश में जगह-जगह लगे दूरदर्शन के 44 टावरों से 16 व 17 नवंबर को प्रसारण बंद हो जाएगा। इनमें अधिकांश टावर तो बिना कर्मचारियों वाले हैं, जबकि सुंदरनगर समेत कई टावरों में कर्मचारी कार्यरत हैं जिन्हें दूसरे क्षेत्रों में ट्रांसफर कर दिया गया है। जहां तक मंडी, कुल्लू व लाहुल स्पीति जिलों की बात है तो यहां से कोटली बीर, शिवाबदार, निहरी, चंदैश सरकाघाट, जोगिंदरनगर चतुर्भुजा, झंटीगरी फूलाधार, एलपीटी मंडी डीडी न्यूज व एलपीटी सुंदरनगर (मंडी जिला) हैं। दियार, बिजली महादेव व बंजार (कुल्लू जिला) तथा केलांग सुमनम, झालमा बारिंग व उदयपुर (लाहुल स्पीति है)।
आशंका यह भी है कि अगले चरण में शेष बचे मंडी, कुल्लू, मनाली व बिलासपुर शहरों के टीवी टावरों का भी नंबर आ जाएगा। इन्हीं टावरों के माध्यम से डीडी शिमला के कार्यक्रम लोगों तक पहुंचते हैं जो अब नहीं देखे जा सकेंगे क्योंकि शेष बचे शिमला, कसौली व धर्मशाला टावरों का सिग्नल सीमित क्षेत्र तक है। हैरानी इस बात की है कि प्रदेश के चार में तीन संसदीय क्षेत्रों हमीरपुर, शिमला व कांगड़ा में आकाशवाणी के केंद्र चल रहे हैं मगर मंडी की टारना हिल्स में प्रसार भारती के पास 5 हजार वर्ग मीटर जगह होने के बावजूद भी यहां पर आकाशवाणी केंद्र को शुरू नहीं किया जा सका है। इस बारे में कई बार लोग स्थानीय सांसद राम स्वरूप शर्मा का ध्यान दिला चुके हैं। तकनीकी तौर पर सरकार चाहे तो यहां पर तुरंत आकाशवाणी का केंद्र चालू हो सकता है। इधर, इस बारे में जब मंडी स्थित सहायक निदेशक दूरदर्शन (मंडी, कुल्लू व लाहुल स्पीति) अनिल कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि दूरदर्शन महानिदेशालय द्वारा दूरदर्शन की स्थानीय प्रसारण सेवा का युक्तिकरण करने के कारण ये टावर बंद किए जा रहे हैं। उन्होंने माना कि इन टावरों के माध्यम से जहां जहां भी सिग्नल आता था वहां पर अब डीडी शिमला के कार्यक्रम नहीं दिख पाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार चाहे तो मंडी में स्टूडियो कम ट्रांस्मीटर शुरू किया जा सकता है।
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