एमबीएम न्यूज़/हमीरपुर
गिद्धराज जटायु के वंशज “सफाई कर्मी” गिद्धों के लिए अब वाइल्ड लाइफ विभाग हमीरपुर में एक रेस्टोरेंट खोलेगा। रेस्टोरेंट की खासियत यह होगी कि यहां गिद्धों के अतिरिक्त किसी अन्य जानवर या पक्षी का प्रवेश वर्जित होगा। हमीरपुर में बनने वाले इस रेस्टोरेंट का नाम “वल्चर रेस्टोरेंट” रखा जाएगा। यहां बता दे कि इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए विभाग सर्वे करेगा। यहां यह भी बता दे कि पिछली बार जब सर्वे किया गया था तो हमीरपुर जिला में सिर्फ एक घोसला मिला था।
इससे साफ होता है कि हमीरपुर में गिद्दो की संख्या में काफी गिरावट आई है। अधिकारियों का कहना है कि अगर इस योजना सफल रहती है तो हमीरप़ुर में बनने वाला इस रेस्टारेंट नगरोटा सुरीयां में बने रेस्टोरेंट से मिलता जुलता होगा। जिसमें गिद्धों के लिए भोजन का पूरा इंतजाम होगा। एक हेक्टेयर भूमि में इसे तैयार किया जाएगा। वल्चर रेस्टोरेंट जाली से पूरी तरह बंद होगा। किसी बाहरी मांसाहारी जानवर इसमें प्रवेश नहीं कर पाएगा। इसमें एंट्री के लिए महज एक मुख्य गेट होगा। गिद्धों का भोजन इस गेट के माध्यम से ही अंदर रखा जाएगा। गिद्ध प्रजाति की संख्या बढ़ाने के लिए वन्य जीव विभाग ने यह निर्णय लिया है।
किसानो को भी होगा लाभ….
वन विभाग के अनुसार वल्चर रेस्टोरेंट खुलने से महज गिद्धों का ही संरक्षण नहीं होगा। बल्कि लोगों की भी आर्थिकी स्थिति भी सुधरेगी। किसान अपने मृत पशुओं को यहां भेजेंगे जिसके लिये उन्हें निर्धारित रुपये भी मिलेंगे। इसके साथ उन्हें रेस्टोरेंट तक मृत पशुओं के लाने का वाकायदा किराया भी दिया जाएगा। इस भोजनालय के खोलने के पीछे मंशा यह है कि गिद्धों को भोजन के लिए भटकना न पड़े तथा किसानों को भी पशुओं के मर जाने के बाद कुछ आय हो जाए, इससे ग्रामीण क्षेत्र में मृत पशुओं से होने वाले प्रदूषण को भी रोका जा सकेगा।
वल्चर रेस्टोरेंट के जरिए हमीरपुर में गिद्धों की संख्या बढ़ाने की तैयारी
हिमाचल प्रदेश में गिद्धों की आठ प्रजातियां हैं। लगातार कम हो रही गिद्धों की संख्या से वन्य जीव विभाग चिंतित है। वाइट रंपड वल्चर प्रजाति का भविष्य संकट में है। इन प्रजाति के पक्षी अधिकतर मृत पशुओं पर ही निर्भर रहते हैं। ये पक्षी मृत पशु को अपना भोजन बनाकर पर्यावरण संरक्षण में अपनी अहम भूमिका अदा करते हैं। पिछले करीब 15 साल पहले इस जाति के पक्षियों की संख्या अचानक कम हो गई। ऐसे में वल्चर रेस्टोरेंट खुलने से इन गिद्धों की संख्या बढ़ेगी।
कांगड़ा है गिद्दो की पहली पसंद…
धरती के सबसे बड़े सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों पर संकट मंडरा रहा है लेकिन वाइट रंप्ड वल्चर प्रजाति का गिद्ध जो विलुप्त होने के कगार पर है, उसकी जनसंख्या बढ़ाने में हिमाचल का कांगड़ा जिला अहम योगदान दे रहा है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग के एक सर्वे में कांगड़ा में 356 घोंसले मिले हैं। इनमें 313 वाइट रंप्ड वल्चर प्रजाति के बच्चे हैं। यहां मिले घोंसलों से विभाग को उम्मीद जगी कि इस प्रजाति के पक्षियों में अब वृद्धि हो सकती है। वन विभाग के अनुसार वर्ष 2004 में वाइट रंप्ड वल्चर प्रजाति के सिर्फ 26 घोंसले रह गए थे। वर्षों की देखभाल के बाद अब इनकी संख्या बढ़कर 356 हो गई है। आगामी वर्षों में इनकी संख्या और बढ़ जाएगी। इसके लिए भी विभाग आगामी रणनीति तय कर रहा है।
वाइट रंप्ड वल्चर प्रजाति का भविष्य संकट में है, हालांकि कांगड़ा में इसके अधिक घोंसले मिलने के बाद विभाग को उम्मीद जगी है। कांगड़ा को छोड़ अन्य कहीं भी इस प्रजाति का नामोनिशान नहीं मिल रहा। ऐसे में अब वन्य जीव विभाग इस प्रजाति के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसके लिए विशेष प्लानिंग भी तैयार की जा रही है। योजनाबद्ध तरीके से इस किस्म को बचाने के लिए काम होगा।
क्या कहते है अधिकारी….
वाइल्ड लाइफ के डीएफओ कृष्ण कुमार का कहना है कि अगर जिला हमीरपुर में गिद्दो के घोसले मिलते है तो वल्चर रेस्टोरेंट खोलने के बारे में सोचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि नगरोटा में इसी तरह का एक रेस्टोरेंट खोला गया है।
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