बद्दी (एमबीएम न्यूज) : प्रदेश आयुर्वेदिक विभाग द्वारा डाक्टरों के बीबीएन में किए जा रहे तबादलों पर सवालिया निशान लग गया है। विभाग के आला अधिकारियों द्वारा यहां पर तैनात चिकित्सकों के इस प्रकार तबादले किए जाते हैं मानों उनके लिए यह घर की बात हो। तबादलों में न तो दूरी का ख्याल रखा जाता है और न ही समयावधि को ध्यान में रखा जाता है।
हाल ही में प्रदेश आयुर्वेदिक विभाग द्वारा बद्दी तहसील में किया गया चिकित्सक का तबादला चर्चा का विषय बन गया है। हैरानी इस बात की है कि इस चिकित्सक को बद्दी तहसील के तहत एक चिकित्सक का तबादला इसी तहसील में मात्र 14-15 किलोमीटर के दायरे में ही कर दिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग तबादला करते समय इतना ध्यान रखे कि कम से कम संबंधित जिले से दूसरे जिले में अधिकारी को भेजा जाए।
मगर बीबीएन में तो उल्टी गंगा बहती नजर आ रही है और राजपत्रित अधिकारी को एक पंचायत से छोडक़र दूसरी पंचायत में तबदील कर दिया जाता है। हाल ही में आयुर्वेदिक विभाग ने राजकीय आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र लोदीमाजरा (तहसील बद्दी) में तैनात चिकित्सक को बद्दी तहसील के तहत ही लंडेवाल औषधालय में स्थानांतरित कर दिया। बीबीएन के लोगों में चर्चा है दून व नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र में तैनात आयुर्वेदिक चिकित्सक लंबे समय से यहां पर डेरा डाले बैठे हैं।
एक स्थान पर जैसे ही अढाई से तीन साल पूरे होते हैं तो मिलीभगत से 8-10 किलोमीटर के दायरे में ही अडजस्टमेंट करवा ली जाती है। नियमों के मुताबिक किसी भी राजपत्रित अधिकारी का तबादला 25 किलोमीटर दूरी से कम नहीं हो सकता। लोगों का कहना है कि कम से कम विभाग को एक ही तहसील में तबादले से परहेज करके तहसील व जिला बदल देना चाहिए। क्योंकि मात्र आठ-दस किलोमीटर में तबादला किए जाने का तो मानों कोई औचित्य ही नहीं बदला।
बीडीसी वाइस चेयरमैन बलविंद्र ठाकुर, एहसास संस्था के अध्यक्ष बबलू पंडित, दिनेश कुमार, मोहित शर्मा, संजय कुमार, केवल सिंह आदि ने कहा कि बीबीएन के अधिकांश अधिकारी चंडीगढ़, पंचकूला, मोहाली से आते हैं। जबकि यह लोग आठ किलोमीटर से ज्यादा स्टेशन नहीं छोड़ सकते। जिन अधिकारियों का अधिकांश समय चंडीगढ़ पंचकूला आने जाने में बीत जाता है वह जनता की सेवा क्या करेंगे।
वहीं जिन अधिकारियों को बीबीएन की कुर्सी से मोह हो जाता है वह सांठगांठ करके इसी क्षेत्र में तबादले करवाने को माहिर हैं। आयुर्वेदिक विभाग के साथ साथ अन्य विभाग बिजली बोर्ड, आवकारी एंव कराधान विभाग, शिक्षा विभाग में कई ऐसे शिक्षक व अधिकारी मिल जाएंगे तो वर्षों से यहीं तैनात हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कम से कम तबादला करते समय अधिकारी तो संबंधित तहसील व जिले से बाहर तो बदला जाए, ताकि तबादले का असली मायना सार्थक हो सके।
उधर जब इस विषय में आयुर्वेदिक विभाग के सचिव संजय गुप्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि फिलहाल तबादले के लिए कोई दूरी निर्धारित नहीं है। तबादला नियमों के तहत ही होता है चाहे वह एक पंचायत से दूसरी पंचायत में हो जाए। वहीं दूसरी ओर विभाग के ओएसडी दिनेश कुमार ने कहा कि कुछ तबादले सरकार करती है और कुछ ऑन रिक्वेस्ट किए जाते हैं। अगर कोई शिकायत आती है तो मामले को देखा जाएगा।