अमरप्रीत सिंह/ सोलन
आधुनिकता की दौड़ में मानव संवेदनाएं शून्य हो रही हैं। सड़क किनारे अगर कोई तड़प रहा हो तो उसे बचाने की बजाए मोबाइल में वीडियो बनाना शुरू कर दिया जाता है। वहीं परिवारों में भी संवेदनाएं नहीं रही हैं। लेकिन यहां एक ऐसी मार्मिक घटना सामने आई है जो दिल को छू लेगी। दरअसल हुआ यूं कि दियूंघाट का लाडला दिव्यांग बेटा पंकज शर्मा धनतेरस के दिन फैक्टरी में काम करने निकला था। अचानक ही उसे सिर में दर्द उठा। कुछ देर बाद सहकर्मियों ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया, लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी।
पूरा गांव सदमे में आ गया, क्योंकि उसका मिलनसार स्वभाव हर किसी को उसके करीब लाता था। छोटी दिवाली के दिन पंकज का अंतिम संस्कार होना था, लेकिन घर पर एक ऐसी मां भी मौजूद थी, जिससे उसका खून का रिष्ता नहीं था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पंकज के घर में किराएदार के तौर पर रहने वाली शैली मेहता शव को टकटकी नजरों से देखती रही। अचानक ही शाम को उसकी तबीयत उस समय बिगड़ गई, जब ब्लड प्रैशर काफी हाई हो गया, क्योंकि वो पंकज के जाने का सदमा सहन नहीं कर पा रही थी। कुछ ही घंटों में मूलतः पंजाब की रहने वाली 46 वर्षीय शैली ने भी दम तोड़ दिया। दिवाली के दिन गांववालों ने शैली का भी अंतिम संस्कार कर दिया।
दरअसल शैली का पति कारपेंटर का कार्य करता है, जो दिवंगत पंकज के घर पर करीब 24 साल से किराएदार है। तीन बेटियों की मां शैली ने पंकज को अपनी गोद में पैदा होने के बाद से ही खूब खिलाया। गांव के लोग बताते हैं कि महिला गोद में एक तरफ अपनी बेटी को उठाती थी तो दूसरी तरफ पंकज को। यही वो गहरा रिश्ता था जो धीरे-धीरे मां-बेटे की ममता में बदल गया था। क्षेत्र में चंद घंटों के भीतर पंकज व शैली की मौत की चर्चा है। कुल मिलाकर शायद यह दुलर्भ ही है, जब खून के रिश्ते से बढ़कर कोई रिश्ता साबित हुआ हो।
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