सुभाष कुमार गौतम/मनाली
हिमाचल प्रदेश का अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा जहां पूरे विश्व में प्रसिद्ध है और देवभूमि का एक मात्र ऐसा उत्सव है जो हर आने वाले को यही का वशीभूत कर देता है। कुल्लू का दशहरा अपने आप में हिमाचल की अनूठी शान है। इस उत्सव का नाम अंतरराष्ट्रीय यूं ही नहीं पड गया। यहां पर देवताओं का महा कुंभ और राजशाही देखने को मिलती है। इस उत्सव का खर्चा भी करोडो में है। आमदन भी करोडों में ही है। मगर इस बार सरकार के नए कानून जीएसटी ने यहाँ पर आए व्यापारियों पर कुछ ऐसा गजब ढाया की हद से ज्यादा ही कीमत चुकानी पडी है। इस बार यहां आए व्यापारियों से प्रशासन ने 1 करोड 26 लाख रूपये जीएसटी बसूला है।
पिछले साल के राजस्व से 25 प्रतिशत अधिक है। क्योंकि अधिकारियों का यह मानना है कि पिछले साल प्लांट आवंटन में 95 लाख ही जमा हो पाए थे। इतना ही नहीं प्रशासन के पास प्लांट आवंटन में करोड़ों रुपये इकठ्ठा हुआ है, जिसकी पुष्टि अधिकारिक तौर पर हुई है। सही बात तो यह है कि जीएसटी के डंक के कारण समय के साथ इस उत्सव का वर्चस्व बना रहेगा या सीमित होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। क्योंकि जीएसटी के रूप में जो टैक्स व्यापारियों ने सरकार को दिया। उस हर्ज़ाने को वो लोगों से सामान की कीमत बढाकर वसूल रहे है। जिसकी कारण लोगों की जेबें भी भारी रकम चुकाने में ढीली पड रही है। क्योंकि मेले में आए व्यापारी किसी को पक्का जीएसटी बिल नहीं देते है।