एमबीएम न्यूज़/कांगड़ा
पांचवा साईं दरबार भरमाड़ में शिरडी की तर्ज पर साईं बाबा के महाशताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान हज़ारो की तादात में श्रद्धालुओं ने समारोह में भाग लिया व महाशताब्दी समारोह हर्षोउल्लास के साथ मनाया। शुक्रवार को साईं बाबा के जयकारों के साथ बाबा की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली गई। शोभायात्रा निकालकर साई मंडली भरमाड व पांचवा दरबार के सदस्यों ने साईं बाबा की महिमा का गुणगान किया। इस दौरान सारा क्षेत्र भक्तिमय हो गया।
समारोह की शुरुआत सुबह 4:00 बजे साईं बाबा के अभिषेक पूजा के साथ हुई। बाबा को नवीन पोशाक धारण करवाई गई। मंदिर को सुगंधित पुष्पों,सजावटी समान से सजाया गया। इसके अलावा झांकी के लिए भी विशेष तैयारियां की गई। अभिषेक पूजा के बाद मंदिर के सदस्यों, भक्तों ने सामूहिक आरती की व देर रात तक मंदिर परीसर में भक्तों का तांता लगा रहा। दिल्ली,चंडीगढ़, शिमला कांगड़ा,हमीरपुर, बिलासपुर सहित अन्य जगहों से श्रद्धालुओं इस समारोह मे भाग लेने के लिए पहुँचे।
इस दौरान साई भक्त व गायक राजेश ने अपनी मधुर आवाज में ओम साईं राम जय साईं राम, शिरडी वाले साईं बाबा और मेरे बाबा रहम नजर करना, मैं साई दे लड़ लग गया, दीवाना तेरा आया बाबा तेरी शिर्डी में जैसे भजनों से साईं बाबा की महिमा का गुणगान किया गया व मंदिर मे भक्तों को नाचने पर मजबूर कर दिया। पाँचवा साईं बाबा मंदिर भरमाड में सजी बाबा व अन्य देवताओं की झांकियों के दर्शन के लिए दूर दराज से आए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। दोपहर के समय गाजे बाजे,डीजे, मशहूर ढोल व कलाकारों के साथ साईं बाबा की पालकी यात्रा निकाली गई। वही मंदिर परिसर में साई बाबा पर लघु नाटिका प्रस्तुत की गई जिसके माध्यम से भक्ति को साई के जीवन के बारे मे बतया गया।
समारोह के दौरान प्रस्तुत लघु नाटिका की सभी ने खूब सराहना की। समारोह के समापन पर विशाल भंडारे व भजन संध्या का आयोजन किया गया। साई भक्तों ने बतया की इस पालकी यात्रा निकालने का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में धर्मनिरपेक्षता और सभी समुदायों में सद्भावना कायम करना रहा है, साईं परिवार बाबा के सिखाये रास्तों पर चलते है व वह समाज में सद्भावना और आपसी सौहार्द कायम रखने के लिए प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि इंसान की फितरत में शामिल है कि वे आपस में झगड़ लेते हैं। यह तो भगवान की कृपा है कि उन्होंने से बाबा के रूप में हमें यह बताने वाला स्वरूप दिया कि सबका मालिक एक है।
इसी तहजीब को हम आगे भी बनाए रखे, यही कामना की। उन्होंने कहा कि साधु संतों का काम ही होता है, समाज को नई दृष्टि देना। साईं ने भी भक्त की दृष्टि लाकर समाज को नई दिशा प्रदान की। भगवान को आंखों से नहीं दिल की आंखों से देखना चाहिए। उक्त विचार के साथ माह शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया। क्षेत्र में निकाली गई पालकी यात्रा से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। झांकी के दौरान साईं बाबा की पालकी व श्रद्धालुओं ने प्रसाद प्रसाद वितरित किया गया। मंदिर में विशेष आतिशबाजी भी की गई।