एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल प्रदेश में बरसात का दौर थमने के बाद भी स्क्रब टायफस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसके मामले बढ़ने से लोगों में हड़कंप मच गया है। आईजीएमसी में सोमवार को स्क्रब टायफस से ग्रस्त एक और मरीज की मौत हो गई। मृतक युवक शिमला जिले के चौपाल का रहने वाला था और 32 साल का था। तीन दिन पहले आईजीएमसी में भर्ती किया गया था, लेकिन उपचार के दौरान आज उसने दम तोड़ दिया। ब्लड सैंपल की जांच में उसमें स्क्रब टायफस के लक्षण पाए गए। आईजीएमसी के वरिष्ठ एमएस जनक राज ने इसकी पुष्टि की है। आईजीएमसी में स्क्रब टायफस से यह 15वीं मौत है। 14 मरीजों की मौत पिछले माह में हुई हैं। एक हफते के भीतर आईजीएमसी में स्क्रब टायफस से चार मरीजों की जान गई है। स्क्रब टायफस के ज्यादा मामले अप्पर शिमला और चौपाल से आ रहे हैं।
यह बीमारी एक विशेष बैक्टिरिया रिकेटेशिया के काटने से फैलती है, जो खेतों, झाडि़यों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। फिर चमड़ी के काटने से लोगों को अपनी चपेट में लेती है। फिर बहुत तेज बुखार आता है। समय पर इलाज न मिल पाने की सूरत मे पीडि़त की मौत हो जाती है।
चिकित्सक सलाह देते हैं कि जब भी घास लेकर या जंगल के रास्तों से घर पहुंचे तो सबसे पहले साबुन से नहाकर कपड़े बदलें। ताकि कपड़ों में बैठा पिस्सू काटे न और स्क्रब से बचाव हो सके। वहीं डॉक्टरों ने सलाह दी, कि यदि किसी भी व्यक्ति को स्क्रब के लक्षण दिखाई दें तो वह देरी न करते हुए अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचे और जांच करवा कर दवाई लें। प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में स्क्रब टायफस की दवाई निशुल्क मिलती है। चिकित्सकों के अनुसार ईलाज में देरी होने से स्क्रब प्रभावितों की मौतें हो रही है। यदि समय में पर इसकी जांच की जाए तो मौतों पर रोकथाम लगाई जा सकती है।