नीना गौतम/कुल्लू
मणिकर्ण घाटी की अधिष्ठात्री देवी माता रूपासना के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। भादों माह के इन विशेष दिनों में माता के दरबार में मेले का आयोजन होता है। हजारों श्रद्धालु यहां माता के दरबार में दर्शन को पहुंचते हैं। माता का यह मंदिर घाटी के जरी व बराधा के मध्य पहाड़ी पर सुंदर एवं घने जंगल के बीच में स्थित है। इस माता के मेले में जरी के अधिष्ठाता देव अग्निपाल भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। यहां पिछले तीन दिनों से हजारों लोगों ने शीश नवाज कर माता का आशीर्वाद लिया।
अधिकतर श्रद्धालु यहां माता के दरबार में मन्नत मांगने आते हैं। मन्नत पूरी होने पर माता का आशीर्वाद लेने आते हैं। मान्यता है कि इन दिनों माता के दरबार में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है। इसके अलावा जिन लोगों में बुरी आत्माओं का साया हो तो वह भी माता के दरबार में जाकर भाग जाती है। लोगों की मान्यता है कि माता के दरबार में जाकर तत्काल प्रभाव से दीन दुखियों को लाभ मिलता है। यही कारण है कि माता के दरबार में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। यहां पर माता के हारियानों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रकार के लंगर की व्यवस्था रहती है।
लंगर में प्रसाद के तौर पर देसी व्यंजन, दाल, सिड्डू परोसे जाते हैं। लोग यह स्वादिष्ट खाना ग्रहण कर धन धान्य हो जाते हैं। धारगन एक सुंदर स्थल है। इस स्थल की चोटी पर माता का सुंदर एवं भव्य मंदिर विराजमान है। घने देवदार के जंगल के बीचों-बीच यह मंदिर बेहद ही आकर्षक है। श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करने वाला है। इस मंदिर तक जाने के लिए जरी से संपर्क मार्ग जाता है। करीब दो किलोमीटर पैदल चलकर इस सुंदर स्थल पर पहुंचा जाता है। यहां पर माता के दर्शन व प्रकृति के सुंदर नजारे मन को शांति देते हैं।