नीना गौतम/कुल्लू
देव श्रीबड़ा छमाहूं ने आखिर 15 दिनों के बाद तीन लोकों को जीत लिया है। धरती फटी और भूगर्भ से मधुमक्खियों का गुबार निकला और देव रथ ने यह अपने में समाहित की। इसी के साथ देव श्रीबड़ा छमाहूं ने त्रिलोक की शक्तियां हासिल की और लोल कंढा से भव्य देव यात्रा मुख्य मंदिर दलयाड़ा पहुंची और यहां पर मौजूद अन्य देवताओं में शक्तियां वितरित हुई।
कलयुग में भी देव शक्तियां कितनी प्रबल हैं इसके जीते जागते उदाहरण हर दिन देव धरती हिमाचल में देखने को मिलते हैं। इसी कड़ी में कोठी बुंगा के गढ़पति सराज घाटी के आराध्य देवता देवश्री बड़ा छमाहूं के समक्ष ऐसा चमत्कार हो चुका है। इस चमत्कार को हर कोई देखकर अचंभित रह गया। देव श्री बड़ा छमाहूं त्रिलोक के मालिक माने जाते हैं और अब तीनों लोकों की आलौकिक शक्तियां ग्रहण कर ली हैं।
इससे पहले देवता ने अपने क्षेत्र की परिक्रमा की और अंत में यह परिक्रमा लौल गांव में समाप्त हुई। इसके बाद लौल गांव की पहाड़ी जिसकी नाम जोगणी कंडा है में देवता विराजमान हुए। जहां पर इस दिव्य शक्ति को ग्रहण करने का अनिश्चित कालीन कार्यकम शुरू हुआ। बुधवार सुबह ही पहले पहर में यह दिव्य चमत्कार हुआ। दिव्य शक्ति कब प्रकट होती है यह कहना मुश्किल होता है।
मगर आज तक के इतिहास के मुताबिक यह शक्तियां 3, 5, 7, 9, 11, 13,15,17,19 ऐसे दिनों में कभी भी आ सकती है। यहां पर जब शक्तियां ग्रहण करने जब देव रथ बैठता है तो उस समय क्षेत्र में काफी कठोर नियमों का भी पालन होता है। आज तक जब-जब भी शक्तियां ग्रहण करने का यह कार्यक्रम हुआ तब-तब भूगर्भ से ही मधुमक्खियां निकलकर देवरथ में समाहित हुई हैं। इस दौरान देवता के पास वाद्ययंत्र की धुन में चार पहर पूजा होती है।
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार जब भूगर्भ से मधुमक्खियां निकलती हैं तो वे लाइन में आगे बढ़ती हैं और देवता के मुख्य मोहरे में एकत्र हो जाती हैं। जब मोहरा पूरी तरह से मधुमक्खियों से ढक जाता है तो जिस स्थान से मधुमक्खियां निकल रही हैं उसे बंद किया जाता है। इस बार भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला। उसके बाद देवरथ में घुंडा डाला जाता है। देवरथ को वहां से मुख्य मंदिर दल्याड़ा के लिए रवाना किया गया।
मुख्य मंदिर में पहले से ही अन्य देवी-देवता के रथ विराजमान होते हैं, जिसमें 3 छमाहूं, देवी शक्ति व अन्य देवी-देवता मौजूद रहे। शक्तियां ग्रहण करके जब देव श्री बड़ा छमाहूं का रथ मंदिर में प्रवेश हुआ तब देवता के घुंडे को खोला गया है और देवरथ में समाहित मधुमक्खियां अन्य देवरथों में भी चली गई। जिस-जिस देवरथ में मधुमक्खियां प्रवेश हुई उन-उन देवरथों में घुंडा डालकरा अपने-अपने क्षेत्रों के लिए रवाना किया गया।
इस तरह देव श्री बड़ा छमाहूं दिव्य शक्तियों को सभी देवी-देवताओं में वितरित की। गौर रहे कि सराज में 4 छमाहूं हैं और इन्हें घाटी का आराध्य देव माना जाता है। देव श्री बड़ा छमाहूं सबसे बड़े भाई के रूप में माने जाते हैं। छमाहूं देवता सृष्टि का अवतार माने जाते हैं।
छमाहूं का अर्थ 6 समूह देवताओं की सामूहिक शक्ति है। ब्रह्म, विष्णु, महेश, आदी, शक्ति और शेष ही छमाहूं की सामूहिक शक्ति है। छमाहूं का अवतार सृष्टि की पुनर्रचना के दौरान हुआ है। बहरहाल सराज घाटी में देवशक्ति का परीक्षण हुआ जो सफल रहा है।