जोगिंद्रनगर (ओमप्रकाश चौहान) : जून महीने की तपिश से जोगिंद्रनगर नगर पंचायत भी अछूती नहीं रह सकी और अंदरखाते इसमें कहीं न कहीं कोई बड़ी हलचल मची है, जिसके नतीजे जल्दी सामने आने की उम्मीदों को टाला नहीं जा सकता। ऐसा लगता है कि इसी बहाने कांग्रेस ने कहीं न कहीं ऑपरेशन डैमेज कंट्रोल भी शुरू कर दिया है।
नगर पंचायत के पांच पार्षदों ने अपनी अनदेखी होती देख आवाज बुलंद करते हुए 2 जून को पत्रकार सम्मेलन में आग उगली और अपने-अपने वार्डों की अनदेखी किए जाने व इक्का-दुक्का चुनिंदा वार्डों में ही काम होने के आरोप मढ़े। नगर पार्षद कमला देवी, सुकन्या शर्मा, ममता कपूर, ठाकुर दास व अर्जुन ठाकुर ने आरोप लगाया कि नगर पंचायत के किसी भी कार्य में उन्हें विश्वास में नहीं लिया जाता और उनके वार्डों की जमकर अनदेखी की जा रही है।
यह भी कहा गया कि काफी अरसे से पार्षदों को मानदेय की भी अदायगी नहीं हो रही। मानदेय दिया जाना तो दूर पांच-पांच हजार रूपए से अधिक की रिकवरी उनके नाम निकाल दी गई, जिसने आग पर घी का काम किया। पार्षदों ने कहा कि नगर पंचायत के सचिव जोगिंद्रनगर के तहसीलदार से बात की गई तो उन्होंने भी उनकी बात नहीं सुनी।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जोगिंद्रनगर को हिमाचल प्रदेश का पहला वाई-फाई टाऊन घोषित किया है। इसके लिए की जा रही प्रक्रिया में भी किसी पार्षद को विश्वास में न लिए जाने जैसा गंभीर मसला भी हर जुबान पर चर्चा का विषय बन गया। रेलवे की जमीन पर बिना किसी अनापत्ति प्रमाणपत्र के नगर पंचायत द्वारा पार्क बनाने का काम शुरू करने का भी मसला उठा। गुगली खड्ड से खनन की बात को भी हवा मिली। इस तरह के अनेकों आरोप पत्रकार सम्मेलन में पांच पार्षदों ने लगाए।
इसके अगले ही दिन 3 जून को नगर पंचायत के उपाध्यक्ष अजय धरवाल ने भी पत्रकारों से बातचीत में अपनी स्थिति को स्पष्ट किया और आरोप जड़ा कि काम न करवाने में नाकामयाब रहे पार्षदों ने निराधार आरोप लगाए, जिनका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने-अपने वार्ड का विकास करवाना वार्ड पार्षदों का जिम्मा है न कि उपाध्यक्ष का। आरोपों को उपाध्यक्ष अजय धरवाल ने पत्रकारों से बातचीत में सिरे से नकारा था।
कांग्रेस के कब्जे वाली इस नगर पंचायत में विरोध का स्वर मुखर करने वालों में कमला देवी, ठाकर दास व ममता कपूर कांग्रेस समर्थित पार्शद हैं जबकि सुकन्या शर्मा व अर्जुन ठाकुर को भाजपा का समर्थन है। कांग्रेस के वर्चस्व वाली नगर पंचायत में उस समय खलबली मचनी स्वाभाविक थी, जब कांग्रेसी पार्षदों ने ही अपनी अनदेखी के आरोप जड़ दिए। सियासी हलकों में इससे हलचल हुई और कहीं न कहीं इसके लिए बिसात बिछानी जरूरी समझी गई।
नगर पंचायत अध्यक्षा व उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में 5 जून को पार्षद कमला देवी की अध्यक्षता में नगर पंचायत की एक बैठक हुई जिसमें सातों निर्वाचित व 2 मनोनीत पार्शदों रमन बहल व केशव कुमार ने भी हाजिरी भरी। इस बैठक में सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करके पहले लगाए गए टैंडरों को रद्द कर दिया गया और निर्णय लिया गया कि वह काम नगर पंचायत से करवाए जाएं।
नगर पंचायत में छोटे-छोटे रिपेयर के काम नगर पंचायत की लेबर से करवाए जाने का भी निर्णय ले लिया गया। लंबे अरसे तक चर्चा का विषय रहीं शहर के हैंडपंपों पर लगाई गई टंकियों का मसला भी काफी उछला और दोनों पक्ष-विपक्ष की प्रतिष्ठा का सवाल बनी रहीं इन टंकियों को हटाने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर दिया गया, जिसमें विपक्ष का पक्ष हावी रहा।
अब इन टंकियों को हटवा दिया जाएगा और पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया जाएगा। इससे शहरवासी काफी खुश हो सकते हैं। इस सब में जहां किसी सियासत की बू आ रही है, वहीं इस साल के आखिर में होने वाले स्थानीय निकायों के चुनाव की भी सामने रखा गया लगता है।