एमबीएम न्यूज़/नाहन
पशुओं की रक्षा करने वाली पशुओं की देवी के नाम से प्रख्यात माता त्रिभोवनी मंदिर में 17 जून से मेला आरंभ होगा। आषाढ़ मास के हर रविवार को लगने वाले इस मेले में लोग अपने पशुओं के कुशल, रोगमुक्त होने की कामना करते हैं। नाहन विधानसभा क्षेत्र की कौलावालाभूड़ पंचायत में पडऩे वाले इस मंदिर में मेले को लेकर मेला कमेटी ने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली है। त्रिभोवनी मंदिर में हर वर्ष आषाढ़ मास में आने वाले प्रत्येक रविवार को मेला लगता है। File Photo
महीने के तीसरे और चौथे रविवार को यहां श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक होती है। इस मर्तबा यह मेला 17 व 24 जून और जुलाई महीने की 1 व 8, 15 तारीख को लगेगा। इस मंदिर में कौलावालाभूड़, बर्मा पापड़ी, क्यारी, सराहां, टिक्कर, मढ़ीघाट, बनाह की सैर, सैनधार, धारटीधार, बनेठी, गांवत, नैनाटिक्कर, घिन्नीघाढ़, जमटा सहित दर्जनों गांवों के हजारों लोगों के अतिरिक्त हरियाणा के मोरनी क्षेत्र से भी हजारों लोग अपने पशुओं की सुरक्षा व रोगमुक्त रहने के लिए मन्नत मांगते हैं।
मन्नत पूरी होने पर वे यहां आकर माता त्रिभोवनी को घर से बनाकर लाया प्रसाद लगाते हैं। इसके अलावा लोग घी, अनाज व अन्य सामग्री भी माता के चरणों में अर्पित करते हैं। कौलावालाभूढ़ पंचायत के पूर्व प्रधान धनवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि त्रिभोवनी माता की शक्ति अपार है। जो श्रद्धालु मन से मन्नत मांग लेता वह अवश्य ही पूरी होती है। धनवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि जहां पर माता का मंदिर बना है, वहां हजारों वर्ष पूर्व शिवजी व माता पार्वती ने विश्राम किया था। माता पार्वती को यहां स्थान काफी पसंद आया था।
इस स्थान पर लोगों को मूर्तियां मिली थी। इसके बाद लोगों ने यहां पूजा अर्चना शुरू की। आज यहां पर काफी बढ़ा मंदिर बना दिया गया है। मंदिर के पुजारी दुर्गा दत्त बताते है कि आषाढ़ मास में हर रविवार को यहां मेला लगता है। इसके अलावा मार्गशीर्ष मास में भी इस मंदिर में श्रद्धालु आते हैं। इस देवी को पशुओं की देवी के नाम से भी जाना जाता है। त्रिभोवनी मंदिर परिसर में आषाढ़ मास के तीसरे रविवार को भंडारा का आयोजन किया जाता है। यह भंडारा हर वर्ष नरायणगढ़ के सुभाष शर्मा द्वारा दिया जाता है।
इसके अलावा भी अन्य लोगों द्वारा भंडारे में सहयोग दिया जाता है। त्रिभोवनी मंदिर में यत्रियों को पंहुचने के लिए निजी गाडिय़ों के अलावा सराहां व नाहन से वाया कौलावालाभूड़ निगम की बसे उपलब्ध रहती है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब वाया बलसार 25 और वाया कौलावालाभूड़ 33 किलोमीटर है। पच्छाद क्षेत्र के लोग ल्वासा चौकी से सात किलोमीटर पैदल चलकर मन्दिर पहुंचते है। इसके अलावा सैनवाला से भी मंदिर के लिए मार्ग है। आषाढ़ मास में आने वाले सभी रविवारों को हजारों की सं या में श्रद्धालु शीश नवाने यहां पहुंचते हैं।