माधवी पंडित / इंदौरा
समीपवर्ती मकडोली गांव में वीरवार को माहौल गमगीन था, क्योंकि 25 साल का बेटा शम्मी पठानिया शहादत को चूमने के बाद पार्थिव शरीर के रूप में लौटा था। कृपाल सिंह पठानिया का इकलौता बेटा दिसंबर 2012 में 20 डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुआ था। दिसंबर माह में घर में छुट्टियां बिताने के बाद श्रीनगर के नया गांव में वापस अपनी डयूटी पर लौटा था। बर्फीले तूफान में डयूटी के दौरान गश्त में शम्मी पठानिया लापता हो गया था।
हादसे में दो जवान लापता हुए थे। दूसरे जवान का शव कुछ दिनों बाद ही मिल गया था। 13 दिसंबर 2017 को सेना मुख्यालय ने शम्मी के लापता होने की सूचना दी थी। करीब 6 महीने बाद बर्फ की परत कम होने पर दोबारा सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसमें जवान का पार्थिव शरीर बरामद कर लिया गया। दो बहनों के इकलौते भाई शम्मी के परिवार में माता-पिता के अलावा दादी हैं।
वीरवार दोपहर बाद शहीद शम्मी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। इसमें इंदौरा के एसडीएम गौरव महाजन के अलावा पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। 9एफओडी कमांडेंट पारितोष उपाध्याय भी अपने जवानों के साथ अंतिम संस्कार में पहुंचे थे। शहीद को 9 बंदूकों की सलामी दी गई।
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