वी कुमार/ मंडी
13 परिवार आज भी कोटरोपी हादसे की त्रासदी को झेल रहे हैं। आज भी इन परिवारों को सरकार घर बनाने के लिए जमीन मुहैया नहीं करवा पाई है। ये परिवार अपने ही घर.गांव में विस्थापितों जैसी जिंदगी काटने को मजबूर हो गए हैं। कभी कहीं तम्बू गाड़कर रात बिताई जा रही है तो कभी कहीं।
करीब एक वर्ष पहले कोटरोपी गांव में हुई भीषण त्रासदी आज भी जिंदा है। इस त्रासदी को जीवंत रूप में झेल रहे हैं वो 13 परिवार जो घर से बेघर हो गए और सत्ता के हुकमरानों ने इनकी खैर.खबर लेना ही छोड़ दिया। 12 और 13 अगस्त 2017 की रात को मंडी जिला के पधर उपमंडल के कोटरोपी गांव में जो भूस्खलन हुआ उसमें जहां 48 लोगों ने अपनी जानें गंवाई वहीं 13 परिवार ऐसे भी थे, जिन्होंने अपने सपनों के आशियाने इस त्रासदी में खो दिए। तन पर ढके कपड़ों के सिवाय इन परिवारों के पास और कुछ भी शेष नहीं बचा।
सरकार ने प्रशासन को आनन-फानन में आदेश जारी करके वैकल्पिक व्यवस्था करने को कहा और वो वैकल्पिक व्यवस्था आज तक नहीं हुई है। सरकार ने फौरी राहत भी प्रभावित परिवारों को बांट दी, लेकिन घर बनाने के लिए जमीन मुहैया नहीं करवाई जा सकी। इन परिवारों के घर तो गए ही साथ ही खेती-बाड़ी की सारी जमीन भी इस हादसे की भेंट चढ़ गई थी। यही कारण है कि कुछ परिवार वन विभाग के सरकारी निवासों में दिन काट रहे हैं तो कुछ पटरवारघरों में। जिन्हें वहां पर भी जगह नहीं मिली उन्हें मजबूरन किसी की जमीन पर तम्बू गाड़कर दिन बीताने पड़ रहे हैं।
कोटरोपी गांव में अपने छोटे से आशीयाने में रहने वाला रमेश चंद आज अपने परिवार के साथ पड़ोसियों की जमीन पर तम्बू गाड़कर रहने को मजबूर है। रमेश चंद और उसकी पत्नी सोमा देवी ने बताया कि जब भी एसडीएम के पास अपनी फरियाद लेकर जाते हैं तो हर बार यही कहा जाता है कि फाइल शिमला भेजी गई है। लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी वो फाइल लौटकर नहीं आ सकी है। बरसात का मौसम आने वाला है ऐसे में यह परिवार कैसे और कहां पर अपना बचाव करेगाए यही सबसे बड़ी समस्या इनके सामने है।
कोटरोपी के पास कुछ दुकानदार अपना कारोबार भी चलाते थेए लेकिन इन दुकानदारों को भी आज दिन तक मुआवजे के नाम पर फूटी कौड़ी नहीं मिल पाई है। प्रभावित दुकानदार रावण सिंह ने बताया कि उन्हें यह कहकर मुआवजा देने से इनकार किया जा रहा है कि वो अवैध कब्जों पर दुकाने चला रहे थे। इन्होंने भी इस बात को स्वीकारा है और सरकार से दुकानों में रखे सामान का मुआवजा देने की मांग उठाई है।
वहीं जब इस बारे में डीसी मंडी ऋग्वेद ठाकुर से बात की गई तो उनकी जानकारी में ऐसा कोई परिवार नहीं है, जो तम्बू में रह रहा हो। उनके अनुसार प्रभावितों को रहने का उचित स्थान मुहैया करवाया गया है। वहीं उन्होंने बताया कि कोटरोपी के आसपास वन विभाग के सिवाय और किसी विभाग की जमीन उपलब्ध नहीं है जिस कारण प्रभावितों को जमीन मुहैया करवाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में सरकार को लिखा गया है और सरकार के आगामी निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है। जो भी निर्देश सरकार की तरफ से मिलेंगे उसपर तुरंत प्रभाव से कार्रवाही अम्ल में लाई जाएगी।
गौरतलब है कि इस हादसे के कुछ समय बाद ही प्रदेश में चुनावों का दौर शुरू हो गया था और उसके बाद सत्ता परिवर्तन हो गया था। नई सरकार को भी पांच महीनों से अधिक का समय बीत गया है लेकिन मौजूदा सरकार भी इन प्रभावितों पर अपनी नजर-ए-इनायत नहीं कर सकी है।
Latest
- साइकिल एक्सपीडीशन टशीगंग में संपन्न, 100 फीसदी मतदान का आश्वासन
- शिमला में पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन की मीटिंग, JCC की बैठक बुलाने की मांग
- कंगना के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचा रहे विक्रमादित्य
- सिकंदर कुमार संभालेंगे नाहन में पीएम रैली का दारोमदार, 40 हजार की भीड़ जुटाने का लक्ष्य
- आग की लपटों से घिरा सैनधार के कोटला मोलर का जंगल, ग्रामीणों ने दी ये चेतावनी…