एमबीएम न्यूज़ / शिमला
शिमला शहर में मई महीन के आखिर में विकराल हुए जलसंकट के लिए जिम्मेवार अधिकारी और कर्मचारियों का नपना तय है। प्रदेश हाईकोर्ट में दाखिल शपथपत्र में सरकार ने एक हफते के भीतर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाने की बात कही है। यह मामला सोमवार को सुनवाई के लिए प्रदेश हाईकोर्ट में लगा।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि जिन अधिकारियों-कर्मियो की लापरवाही से शिमला में पानी का गंभीर संकट खड़ा हुआ, उन पर कार्रवाई हेतु मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश सरकार और आयुक्त नगर निगम शिमला द्वारा कोर्ट में दाखिल किए गए शपथपत्र में उल्लेख नहीं है। हालांकि शपथपत्र में आश्वसत किया गया है कि इस संबंध में आगामी सुनवाई से पूर्व उचित कार्रवाई कर ली जाएगी।
खंडपीठ ने कहा कि शिमला शहर में विभिन्न पेजयल परियोजनाओं से उठाया गया करीब एमएलडी पानी लीकेज में बर्बाद हो जाता है, जिसे रोकने के उपायों का भी शपथपत्र में कोई जिक्र नहीं है। इसके साथ ही पानी के संग्रहण, पम्पिंग, उत्थान और वितरण की व्यवस्था का आधुनिकीकरण करने को लेकर नगर निगम द्वारा किए गए उपायों को भी शपथपत्र में नहीं बताया गया है। इस पर अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास और पर्यटन राम सुभाग सिंह ने खंडपीठ को अवगत करवाया कि इस पूरे तंत्र के आधूनिकीकरण के लिए सरकार द्वारा निश्चित तौर पर कदम उठाए जा रहे हैं।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 18 जून को तय की है, जिसमें नगर निगम आयुक्त को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित रहने के आदेश दिए गए हैं।
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