वी कुमार / मंडी
धार्मिक जलाशयों में पल रही मछलियों के मरने का सिलसिला जारी है। अभी कुछ दिन पहले ही रिवालसर झील में सैंकड़ों मछलियां पानी दूषित होने के कारण काल का ग्रास बनी थी। अब धार्मिक स्थल नागचला में भी मछलियों के मरने का सिलसिला शुरू हो गया है।
शुक्रवार सुबह जब लोग यहां पहुंचे तो देखा की सैंकड़ों की संख्या में मछलियां यहां मरी हुई थी व अधिकतर तड़प रही थी। लोगों ने इसकी सूचना प्रशासन और मत्स्य विभाग को दी। विभागीय अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर पाया कि पानी दूषित था जिस कारण मछलियां मरी हैं। इसके लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ी मंगवाकर जलाशय में पानी डाला गया। मत्स्य अधिकारी रिचा गुप्ता ने बताया कि पानी में पीएच काउंट किया गया तो 5-4 निकला जबकि सामान्य रूप से यह 6 से 8 होना चाहिए।
वहीं पानी का पीपीएम भी 3-25 काउंट किया गया जबकि यह भी 6 से 8 होना चाहिए। इससे पता चल रहा है कि पानी दूषित हुआ है और इसमें ऑक्सीजन की कमी हो गई थी जिस कारण मछलियां मरने की संभावना है। उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग अभी अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा है और इस बात को लेकर जांच जारी है। इसमें विशेषज्ञों की राय भी ली जाएगी।
उन्होंने बताया कि दोपहर बाद तक जलाशय से 150 से अधिक मरी हुई मछलियां निकाली जा चुकी हैं जबकि और मरी हुई मछलियों को निकालने का क्रम जारी है। वहीं स्थानीय निवासी अशोक कुमार और नानक चंद ने बताया कि इलाके में हो रहे अवैध खनन के कारण अधिकतर प्राकृतिक जल स्त्रोतों का वॉटर लेबल डाउन हो गया है और नागचला स्थित धार्मिक जलाशय के पास आईपीएच विभाग द्वारा भी एक स्कीम चलाई जा रही है जिससे भी इस जलाशय के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
इन्होंने बताया कि पिछले कल यहां एक धार्मिक अनुष्ठान भी हुआ था जिसमें कई लीटर दूध पानी में डाला गया था। स्थानीय लोग इन सब बातों को भी मछलियों के मरने से जोड़ रहे हैं। लोगों ने प्रशासन से मांग उठाई है कि धार्मिक स्थलों की महता को ध्यान में रखते हुए इन्हें सुरक्षित रखने की दिशा में प्रयास किए जाएं ताकि इनके अस्तित्व पर कोई खतरा पैदा न हो सके।