एमबीएम न्यूज़/शिमला
हिमाचल किसान सभा ने उच्च न्यायालय के आदेश की आड़ में एसआईटी पर किसान की निजी भूमि से सेब के पेड़ काटने का आरोप लगाया है। हिमाचल किसान सभा के सचिव व विधायक राकेश सिंघा ने आज यहां एक पत्रकार वार्ता में कहा कि जुब्बल क्षेत्र के तीन किसानों की पांच बीघा से कम निजी भूमि को कब्जे में लेकर एसआईटी ने सेब के पेड़ काट डाले हैं और इन किसानों को भूमिहीन किया गया है।
सिंघा ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि इन किसानों को नौतोड़ के रूप निजी भूमि में मिली थी और यह जमीन पांच बीघा से कम है। इनमें सोहन लाल की 4 बीघा, ज्ञान चंद की 4.15 बीघा और सुरेंद्र की 3.18 बीघा जमीन है। उन्होंने कहा कि 05 व 07 मई को एसआईटी द्वारा इस जमीन पर लगे सेब के पेड़ों पर यह कहते हुए कुल्हाड़ी चलाई गई कि यह जमीन अतिक्रमण की गई है।उन्होंने कहा कि एसआईटी की कार्रवाई का जायजा लेने के लिए किसान सभा का एक दल शुक्रवार को घटनास्थल का दौरा कर प्रभावित किसानों से वार्ता करेगा। उन्होंने कहा अतिक्रमण की गई वन विभाग की भूमि से सेब के पेड़ को काटा जाना तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि ये ग्रीनकवर का काम करते हैं।
सिंघा ने किसानों की बेदखली के मुददे को गंभीर करार दिया और इसका हल निकालने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। सिंघा ने कहा है कि अगर सरकार द्वारा इस मसले पर सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई जाती है, तो किसान सभा राज्य के किसानों-बागवानों को लामबंद कर जन आंदोलन शुरू कर देगा। सिंघा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार किसानों-बागवानों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है और हाईकोर्ट में किसानों के पक्ष को सही तरीके से नहीं रखा जा रहा है।
सन 2000 में तत्कालीन सरकार ने विधानसभा में लैंड रिवल्यू एक्ट को लेकर एक कानून बनाया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। जिस पर कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि नियमितीकरण की प्रक्रिया जारी रखी जाए, लेकिन पट्टे नहीं दिए जाएं, लेकिन आज कोर्ट का लैंड रिवल्यू एक्ट के संशोधन पर अंतिम निर्णय आने से पहले ही किसानों-बागवानों को बेदखल किया जा रहा है।