एमबीएम न्यूज़ / कुल्लू
कुल्लू घाटी के अराध्य देवता भगवान रघुनाथ की नगरी सुल्तानपुर में वन विहार उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर भगवान रघुनाथ मंदिर में सुबह से पूजा अर्चना की गई और शाम करीब तीन बजे के समय भगवान रघुनाथ की भव्य यात्रा मंदिर परिसर से बाहर वन विहार स्थान में पहुंचाया।
भगवान रघुनाथ की आरती के साथ भ्रमण करवाया गया। इस दौरान सैंकड़ो श्रद्वालुओं ने भगवान रघुनाथ के दर्शन किए और भगवान रघुनाथ से आर्शिवाद लिया। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि भगवान रघुनाथ के सालभर में 46 उत्सव मनाए जाते है। परन्तु इनमें से चार उत्सव में भगवान रघुनाथ अपने मंदिर परिसर से बाहर दिन के समय निकलते है और पांचवा उत्सव हाेलिका दहन में रात के समय मंदिर से बाहर निकलते है।
उन्होंने बताया कि वन विहार गर्मी आने का सूचक है और भगवान रघुनाथ वन में टहलते निकलते है। इस उत्सव के बाद नरसिंह उत्सव आता है वो अंदर का उत्सव है और इस उत्सव के साथ ग्रीष्म ऋतु का आगाज होता है। उन्होंने कहा कि दशहरा उत्सव, बसंत उत्सव, जल विहार व वन विहार चार ऐसे उत्सव है जब भगवान रघुनाथ अपने मंदिर से भव्य यात्रा के साथ मंदिर परिसर से बाहर निकलते है।
उन्होंने कहा कि वन विहार उत्सव साल में एक बार मनाया जाता है जब भगवान रघुनाथ को वन विहार में भ्रमण करवाया जाता है। उन्होंने कहा ऐसा माना जाता है कि आज से घाटी में ग्रीष्म ऋतु का आगाज शुरू होता है।
एक समय था जब यह उत्सव आखाड़ा बाजार की सब्जी मंडी के पास एक वृक्ष के नीचे मनाया जाता था और वर्तमान में वो जगह सरकार के अधीन है। उसके बाद से यह उत्सव सुल्तानपुर में भगवान के मंदिर से बाहर वन विहार स्थान पर मनाया जाता है।