मोक्ष शर्मा / नाहन
1984 में दिनेश उर्फ छाजा तूफान से भी तेज भागा करते थे। दसवीं में पढ़ाई के दौरान 11.3 सैकेंड में 100 मीटर की दौड़ का रिकॉर्ड भी बनाया था। सोचिए, आज गरीबी की जिंदगी जी रहे दिनेश को उस समय उचित दिशा मिल जाती तो स्पोर्टस के चमकते सितारे हो सकते थे।
दशकों से धोबी के व्यवसाय से रोजी-रोटी कमा रहे दिनेश बेहद सीधे स्वभाव के हैं। चंडीगढ़ में आयोजित पहली नेशनल मास्टर चैंपियनशिप में दिनेश ने भी 100 मीटर की दौड़ में गोल्ड के अलावा रिले रेस में रजत पदक जीता है। लेकिन कहीं चर्चा में नहीं आए। सोमवार को शहर के कुछ लोगों ने दिनेश की सफलता की रिपोर्टिंग का आग्रह किया। फिर तलाशने पर दिनेश ने कहा कि दौडऩे का जज्बा आज भी रखते हैं। उन्होंने कहा कि शायद स्कूल में बनाया गया रिकॉर्ड आज भी नहीं टूटा है।
अल्ट्रा मैराथन धावक सुनील शर्मा को चैरिटी रन में सहयोग देने का भी ऐलान किया। बहरहाल सवाल यह भी है कि अपने जमाने के सर्वश्रेष्ठ धावक रहे दिनेश की सेवाएं लेने के बारे में क्यों नहीं सोचा जाता। सनद रहे कि दिनेश की उम्र 47-48 होगी।