एमबीएम न्यूज़ / शिमला
राजधानी में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के कारण अभिभावकों ने सोयी राज्य सरकार को कुंभकर्णी नींद से जगाने के लिए आज उपायुक्त कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। छात्र अभिभावक मंच के बैनर तले बड़ी तादाद में अभिभावक उपायुक्त कार्यालय के बाहर जुटे और निजी स्कूलों के खिलाफ नारेबाजी की।
इस अवसर पर अभिभाभकों ने विरोध प्रदर्शन जताते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में शहर में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी बहुत बढ़ गयी है। अनैतिक तरीकों से प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ोतरी की है, फीस के नाम पर मोटी रकम वसूली जा रही है तथा सरकार चुप्प है। बाद में मंच के पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर जिला उपायुक्त को ज्ञापन भी सौंपा।
छात्र अभिभावक मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि शिमला शहर में चल रहे प्राइवेट स्कूल छात्रों व अभिभावकों की खुली लूट कर रहे हैं। इनकी लूट में स्कूल टैक्सी संचालकों ने अपने रेट बढाकर आग में घी डालने का कार्य किया है। अभिभावक बुरी तरह परेशान हैं।
विजेंद्र मेहरा ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया, विषय वस्तु व फीसों को संचालित करने के लिए रेगुलेटरी कमीशन बनाया जाए। उन्होंने कहा है कि शिक्षा का अधिकार कानून 2006 सख्ती से लागू किया जाए। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत सरकारी स्कूलों की तर्ज़ पर प्राइवेट स्कूलों में स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन किया जाए।
स्कूलों में “पहले आओ-पहले पाओ” की तर्ज पर एडमिशन दी जाए। भारी फीसों में तुरन्त कटौती की जाए। स्कूल यूनिफॉर्म, किताबों व अन्य स्टेशनरी के दामों में की जा रही भारी लूट को तुरन्त रोका जाए। केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तर्ज़ पर प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के बच्चों की ट्यूशन फीस प्रदेश सरकार सुनिश्चित करे।
उन्होंने यह भी मांग की है सभी स्कूल सस्ती दरों पर छात्रों के लिए स्कूल बसें लगाएं। साथ ही स्कूल बच्चों के लिए एचआरटीसी की ज्यादा से ज्यादा बसें लगाई जाएं। इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत 25 प्रतिशत सीटें गरीब छात्रों के लिए आरक्षित की जाएं व उन्हें मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाए।