नाहन: हिमाचल प्रदेश के सीमान्त क्षेत्र कालाआम्ब, त्रिलोकपुर व खैरी में भूमिगत जल में तेजी से जलस्तर में गिरावट दर्ज हो रही है। पिछले तीन सालों में आई.पी.एच. विभाग का हाईड्रोलोजी विंग जलस्तर की बारीक से बारीक जानकारी जुटा रहा है। कालाआम्ब क्षेत्र को पहले से ही डार्क जोन घोषित किया गया है। इस जोन का मतलब है कि क्षेत्र में पानी का इस्तेमाल डिचार्ज से कहीं अधिक हो रहा है। क्षेत्र में नाहन शहर के लिए बनी खैरी उठाउ पेयजल योजना को जहां पहले करीब 300 फीट गहराई से पानी मिल जाता था वही अब विभाग ने 500 फीट से अधिक गहराई पर बोर किए है। औद्योगिक क्षेत्र कालाआम्ब में तकरीबन 30 बोरिंग की अनुमति जारी की गई है। जबकि इसके विपरित दर्जनों उद्योगों व निजी लोगों ने अवैध तौर पर बोर करवा रखे है। अवैध बोरिंग पर नुकेल न कसे जाने का असर भूमिगत जलस्तर पर पड रहा है। फिलहाल हरियाणा की सीमापर एक ही डिजीटल वाटर लेवल रिकार्डर स्थापित किया गया है लेकिन जल्द ही इस क्षेत्र में 3-4 स्थानों पर इस तरह के उपकरण लगाने की योजना है क्योंकि हालात खराब हो रहे है। जानकारी के मुताबिक जोहडो गांव में मैनउवल तरीके से जलस्तर की निगरानी की जा रही है। 1995 में बनी खैरी उठाउ पेयजल योजना से नाहन को प्रतिदिन 32 लाख लीटर पानी मिलता है। लेकिन घटते जलस्तर के कारण पम्पिंग रूक जाती है। लिहाजा शहर को पूरा पानी मिलता है। नाहन शहर की प्रतिदिन 71 लाख लीटर पानी की मांग रहती है। जिसका 15 से 20 फीसदी हिस्सा नहरस्वार ग्रेविटी योजना से लेने की कोशिश की जाती है। औद्योगिक क्षेत्र कालाआम्ब के खैरी गांव में हरियाणा की सीमा पर आई.पी.एच. विभाग ने डिजीटल वाटर रिकार्डर लगाया है। इस रिकार्डर में दर्ज आंकडो के मुताबिक हिमाचल के अंतिम छोर पर 10 मई 2010 को जलस्तर 54.14 मीटर था, जो 9 मई 2011 को 54.23 मीटर पर पहुंच गया। इस माह 2 मई को लिए गए रिकार्ड के मुताबिक मौजूदा में जलस्तर 56.48 मीटर पर पहुंच गया है। सीमांत क्षेत्रों के जलस्तर में तेजी से गिरावट विभाग की चितांए बढा सकता है। हाइड्रोलोजी विंग के एस.डी.ओ. अरशद रहमान का कहना है कि जलस्तर में गिरावट दर्ज हुई है । विभाग हर पहलू से उचित कारवाई कर रहा है। खैरी पेयजल योजना कुछ मीटर की उंचाई पर है। लिहाजा इस योजना पर असर पड रहा है।