शिमला(एमबीएम न्यूज़): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में दो दर्जन से अधिक महा अधिवक्ताओं की नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। इन महा अधिवक्ताओं की तैनाती में धांधली हुई है। अतिरिक्त महा अधिवक्ताओं के लिए तीन साल में कम से कम 75, उप महा अधिवक्ताओं के लिए 50 और सहायक महा अधिवक्ताओं के लिये 35 मामलों का अनुभव जरूरी है, लेकिन चयनित काफी महा अधिवक्ताओं के पास यह अनुभव नही है और ये मामलों की पैरवी के लिए कभी कोर्ट ही नहीं गए।
इन नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर भाई भतीजावाद और धांधली हुई है। विजिलेंस इस मामले की जांच करे और दोषियों के खिलाफ कारवाई करे। यह आरोप पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा ने लगाए हैं। मीडिया को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में विनय शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार राज्य में एडिशनल ओर डिप्टी एडवोकेट जनरल के पद भरे जाने थे, जिसके लिए विज्ञापन द्वारा एक फरवरी तक आवेदन मंगवाए गए।
लगभग 712 वकीलों ने 21 एडिशनल, 13 डिप्टी ओर तीन असिस्टेंट एडवोकेट जनरल के पद के लिए आवेदन किए। इनके लिए 5 से 9 फरवरी तक चयन प्रक्रिया हुई और 20 फरवरी को परिणाम घोषित किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि जो उक्त पदों पर नियुक्ति हुए, वे जरूरी मापदंड पूरे नहीं करते थे तथा झूठे हलफनामे पर उनकी नियुक्ति हुई।
उन्होंने आगे कहा कि विज्ञापन के अनुसार एडवोकेट जनरल, सेक्रेटरी होम ओर सेक्रेटरी लॉ की कमेटी ने सिलेक्शन करनी थी लेकिन सेक्रेटरी होम की जगह डिप्टी एडवोकेट जनरल इस कमेटी के मेंबर रहे, जो नियमों के अनुसार गलत था क्योंकि डिप्टी एडवोकेट जनरल अपने से बड़ी पोस्ट एडिशनल एडवोकेट जनरल के चयन के लिए समर्थ नहीं था।
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