नाहन (एमबीएम न्यूज): 6 साल की उम्र में माता-पिता से बिछड़ गई थी। अब कल्पना (परिवर्तित नाम) 18 साल की हो चुकी है। महज पांच दिन पहले तक कल्पना को नहीं पता था कि उसके माता-पिता कौन हैं। लेकिन आज उसे पता चला है कि वह उत्तर प्रदेश के बदायूं की रहने वाली है।
परिवार का पता चलने पर कल्पना के चेहरे पर सुकून की चमक थी, लेकिन आंखें भी नम थी। क्योंकि उसे पता चला कि उसके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। दरअसल परिवार व कल्पना के बीच सेतु की भूमिका नाहन की मोना खान ने निभाई है, जो खुद हरियाणा के छछरौली में बालकुंज होम में अनाथ व बेसहारा बच्चों के लिए कार्य करती है। गुमशुदा बच्चों को परिवार तक पहुंचाना भी मोना के जॉब प्रोफाइल का हिस्सा है। कहते हैं, जब शिद्दत से कोशिश हो तो कायनात भी साथ देती है। समय से पहले कुछ भी हासिल करना नामुमकिन ही रहता है।
6 साल की उम्र में कल्पना परिवार से बिछड़ गई। दिल्ली पुलिस को मिली तो उसे फरीदाबाद की संस्था को भेज दिया गया, जहां उसके लालन-पोषण के साथ-साथ शिक्षा भी हुई। अब 18 साल की हो चुकी कल्पना को यमुनानगर के एक कॉलेज में आगे की पढ़ाई के लिए भेजा गया। संयोगवश कॉलेज के छात्रों को बालकुंज होम छछरौली भेजा गया। यहां शहर की रहने वाली मोना खान ने छात्रों को अपने संबोधन में बताया कि गुमशुदा बच्चों को परिवार तक पहुंचाने का कार्य भी करते हैं। बस कल्पना ने रविवार की शाम मोना से संपर्क साधा। हल्की सी परिवार से जुड़ी जानकारी कल्पना ने परिवार के साथ साझा की। इसी के दम पर तलाश शुरू हुई तो कल्पना के परिवार को 24 घंटे में ही सोशल मीडिया व इंटरनेट के माध्यम से ढूंढ निकाला गया। बदायूं से दादा ने व्हाटस एप के जरिए मोना तक कल्पना की माता-पिता के साथ बचपन की तस्वीरें भेजी।
संयोग यह भी देखिए कि यमुनानगर व बदायूं के बीच की दूरी सैंकड़ों किलोमीटर है, लेकिन कल्पना का भाई यमुनानगर से महज 60 किलोमीटर की दूरी पर नारायणगढ़ में कुक का कार्य कर रहा था, जिसे जब सूचना मिली तो वह फौरन ही अपनी बहन को मिलने यमुनानगर पहुंच गया। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में मोना खान ने बताया कि प्रारंभिक पड़ताल में यह साफ हो गया है कि कल्पना उत्तर प्रदेश के बदायूं से 6 साल की उम्र में लापता हुई थी। उन्होंने कहा कि कल्पना के परिवार के साथ मिलने की तस्वीरों व अन्य जानकारियों को साझा नहीं किया जा सकता। बहरहाल इस बात पर बेहद खुशी प्रकट की कि प्रयास सफल हुआ है।
ऐसी हुई तलाश :
मोना के मुताबिक पहले इंटरनेट पर गांव की तलाश की गई। एक गांव से लगभग 6 साल पहले बच्ची के लापता होने की बात बताई गई। लेकिन असल में वहां से 12 साल पहले बच्ची गुम हुई थी। पुलिस के माध्यम से सरपंच को विश्वास में लिया गया। तब बच्ची के दादा से सम्पर्क हुआ।