नाहन (एमबीएम न्यूज): कहते हैं, लोहा लोहे को काटता है। पुलिस ने भी इस कहावत को अपनाकर बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है। अगर शातिर अपराधी सोशल मीडिया खासकर फेसबुक का इस्तेमाल ठगी के लिए कर सकते हैं तो पुलिस इसी तरीके से शातिरों को गिरफ्तार भी कर सकती है। लिहाजा पुलिस ने फेसबुक और शायद व्हाटस एप पर हनी ट्रैप का भी जाल बुन दिया। इस हनी ट्रैप के साथ-साथ मोबाइल की लोकेशन पुलिस के लिए वरदान साबित हुई।
सनद रहे कि चाहे गुनाहगार हो या फिर पुलिस का अधिकारी व हवलदार, हर कोई सोशल मीडिया में सक्रिय रहता है। करीब छह महीने पहले ही एटरनल यूनिवर्सिटी बडू साहिब के एक प्रोफैसर से हनी ट्रैप के जरिए लाखों रुपए लूट लिए गए थे। अब हनी ट्रैप पुलिस के लिए कारगर साबित हुआ है। संभवत: प्रदेश में पुलिस ने इस तरह की मॉडस ऑपरेंडी पहली बार अपनाई है।
दरअसल चर्चा में पुलिस की बड़ी कामयाबी है। इसमें एटीएम बदल कर ठगी करने वाले अंतरराज्जीय गिरोह का पर्दाफाश किया गया है। हर व्यक्ति के जहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर पुलिस ने ऐसा क्या किया कि ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे चार ठग कैसे पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
इस तरह मिली बड़ी कामयाबी…
दरअसल दो साल पहले शातिरों ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में महिला का एटीएम कार्ड बदल दिया। सराहां व सोलन पहुंच कर लाखों रुपए निकाले। पुलिस को सीसी फुटेज में चेहरे नजर आए। तब से इन चेहरों की तलाश फेसबुक पर की जाती रही। इसी जांच के दौरान हाल ही में शातिरों का एक मोबाइल फोन भी पुलिस के लिए वरदान बन गया।
हनी ट्रैप के जरिए फेसबुक पर शातिरों से दोस्ती की पींगे बढ़ाई गई। हर गतिविधि पर नजर रखी जाने लगी। जैसे ही चारों की लोकेशन दिल्ली आई तो टीम ने राजधानी पहुंचने में समय नहीं बर्बाद किया। सौभाग्य से चारों ही एक साथ मिल गए। तीन लाख 9 हजार रुपए की नकदी व बेशुमार एटीएम का ढेर इनके पास मिला। करीब आधा दर्जन राज्यों में एटीएम की ठगी के दर्जनों मामलों से पर्दा उठ सकता है।
उधर गिरफ्तार आरोपियों को पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। गिरफ्तार आरोपियों में बिहार के कुमार रंजन, विपिन बिहारी, राजीव कुमार व रितुराज शामिल हैं।