ऊना (एमबीएम न्यूज): Rare to Rare मतलब दुर्लभ से भी दुर्लभ। एक ऐसी सर्जरी कर दिखाई गई है। बेसुध गाय की आंतों में गांठ बन चुकी थी। करीब पांच घंटे पशु विशेषज्ञों की टीम पूरी शिद्दत से सफल सर्जरी करने में जुटी रही। कहते हैं, शिद्दत से प्रयास किया जाए तो मेहनत रंग लाती है। यही बात हरोली उपमंडल के तहत लालहड़ी वैटर्नरी पॉली क्लीनिक में डॉ. निशांत रणौत, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश भट्टी व डॉ. नवनीत शर्मा की टीम ने चरितार्थ कर दिखाई है।इस कामयाब ऑपरेशन का हिस्सा वेटिनेरी फार्मासिस्ट बलकार पठानिया, रीमा रानी व अनिल भी थे।
सर्जरी कुछ दिन पहले की गई थी, लेकिन आज गाय के मालिक समेत टीम के सदस्यों के चेहरों पर उस वक्त लंबी मुस्कान तैर गई, जब सर्जरी के बाद लगे टांके कटने के बाद गाय अपने पांव पर खड़ी हो गई। डंगोली गांव के मेहरद्दीन की खुशी का तो मानो ठिकाना ही नहीं था, क्योंकि वो खुद भी गाय की चिंता में परेशानी का सामना कर रहा था। अपनी जेब से भी इलाज पर 8 से 10 हजार रुपए खर्च कर दिए। अब आप यह भी सोच रहे होंगे कि आखिर यह सर्जरी दुर्लभ से दुर्लभ क्यों थी। दरअसल इस तरह की सर्जरी के लिए पशुओं को या तो पालमपुर ले जाना पड़ता या फिर पंजाब के लुधियाना स्थित विश्वविद्यालय। काफी हद तक यह भी तय माना जा रहा है कि प्रदेश में यह अपनी तरह की पहली सर्जरी हो सकती है।
उधर पॉलीक्लीनिक के प्रभारी डॉ. निशांत रणौत ने कहा कि दुर्लभ सर्जरी की गई। उन्होंने कहा कि यह तो दावे से नहीं कह सकते, लेकिन संभव है कि जिस तरह से गाय की आंतों की गांठें बन गई थी, उस ऑपरेशन को करना बेहद चुनौतीपूर्ण भी था। खुद भी सर्जरी करने का फैसला लेना मुश्किल था। बहरहाल पशु चिकित्सकों की टीम बधाई की पात्र है।