नाहन (रेणु कश्यप) : अब सिरमौर के किसान-बागवान किवी के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाकर अपनी आर्थिकी ओर अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। नकदी फसलों के साथ-साथ जिला के किसानों-बागवानों ने किवी का उत्पादन भी शुरू कर दिया है। मैट्रो शहरों व होटल व्यवसायों में किवी की खासी मांग है।
पोलीनेशन के दौरान बगीचों में किवी फल
क्या है किवी के औषधीय गुण?
किवी के कई औषधीय फायदे हैं। किवी फल विटामिन-सी से भरपूर होता है, महानगरों में इन शहरोंं में डेंगू बुखार सहित अन्य बीमारियों से निपटने के लिए डॉक्टर रोगियों को किवी खाने की सलाह देते है। किवी में भारी मात्रा में विटामिन सी होती है। बढ़ती डिमांड के चलते बाजार में बागवानों को इसका मूल्य 100 रुपए से लेकर 350 रुपए प्रतिकिलो मिल रहा है।
नौणी से पौधों की डिमांड नहीं हुई पूरी
विभिन्न जिलों में किवी की बढ़ती मांग के अनुरूप डॉ.वाईएस परमार वानिकी एवं बागवानी यूनिवर्सिटी नौणी पिछले तीन वर्षों से पौधों की डिमांड भी पूरी नहीं कर पाई है। जबकि जिला सिरमौर के नारग, मानगढ़ और राजगढ़ में किसानों व बागवानों द्वारा किवी के बगीचे तैयार किए जा रहे हैं।
कैसे और कब तैयार होती है किवी की पौध?
किवी का पौधा पांच वर्षों में फल देना शुरू कर देता है। नौणी विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के बागवानों को किवी फल की एलीसन, हेवाड़, ब्रुनों, मोंटी आदि किस्में उपलब्ध करवाई जा रही हैं। इसमें मेल किस्म अलग से उपलब्ध कराई जाती है, जो बागवान अपने बगीचे तैयार कर चुके हैं, वे आजकल किवी की पोलीलेशन कर रहे है। किवी में पोलीनेशन का मुख्य काम होता है, इसमें मेल व फीमेल फूल को टच करा कर फल तैयार किया जाता है। मई में पोलीनेशन के बाद जुलाई-अगस्त में फल लगता है। अक्तूबर-नवंबर में फल के तुड़ान के बाद देश की बड़ी मंडियों में भेजा जाता है।