बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा): कथित जातिसूचक शब्दों के प्रयोग को लेकर अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे नयनादेवी के भाजपा प्रत्याशी एवं विधायक रणधीर शर्मा को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद करने के आदेश दिए हैं। नयनादेवी मंडल भाजपा ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि यह कांग्रेस सरकार के लिए करारा जवाब है।
जानकारी के अनुसार जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल को लेकर बडवाल निवासी बीर सिंह ने 17 सितंबर 2013 को रणधीर शर्मा के साथ ही तत्कालीन एएसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस पर पुलिस ने आईपीसी और एट्रोसिटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। पुलिस ने कार्रवाई के बाद अदालत में चालान पेश किया था। यह मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में चला। इस पर तत्कालीन एएसपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि इस केस में उनका नाम बेवजह घसीटा गया है, लिहाजा एफआईआर से उनका नाम काटा जाए। हाईकोर्ट ने तत्कालीन एएसपी के हक में फैसला सुनाया था।
एएसपी के बाद रणधीर शर्मा ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने भी दलील दी थी कि उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया गया है। ताजा घटनाक्रम में हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर की अदालत ने गत 5 दिसंबर को रणधीर शर्मा के हक में फैसला सुनाते हए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए हैं। नयनादेवी मंडल भाजपा अध्यक्ष कैप्टन चैधरीराम समेत अन्य पदाधिकारियों ने हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि रणधीर शर्मा के खिलाफ यह झूठा मामला वीरभद्र सरकार के कहने पर दर्ज किया गया था। ऐसा करके उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले से कांग्रेस सरकार को मुंह की खानी पड़ी है। अब विस चुनाव के नतीजों में भी कांग्रेस का यही हश्र होगा।