मंडी ( वी कुमार) : क्या कभी सीवरेज की भारी भरकम पाईपों से होने वाली लीकेज को बोरियां रोक सकती हैं। सुनने में यह बात बड़ी ही हास्यास्पद लगती है लेकिन ऐसा कारनामा जिला में देखने को मिल रहा है। यहां का आईपीएच विभाग इतना होशियार है कि पाईप की लीकेज को रोकने के लिए बोरियों का सहारा ले रहा है। नतीजतन यहां के लोगों को नरकीय जीवन जीना पड़ रहा है और सारी गंदगी सुकेती खड्ड में जा रही है।
एनजीटी के सख्त आदेश हैं कि नदी नालों में किसी भी तरह की गंदगी न बहाई जाए, किसी भी तरह का सीवर नदी नालों के पानी में न जाए, मगर प्रदेश के दूसरे बड़े शहर जिला में सरेआम सुकेती खड्ड में सीवर और मलबा डाला जा रहा है। सरेआम प्रशासन, पुलिस, वन विभाग व आईपीएच विभाग की नाक तले यह खेल चल रहा है। लगता है कि जनता की शिकायतों पर सीवरेज सिस्टम की देख-रेख कर रहा सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग लाचार हो गया है।
हास्यास्पद बात तो यह है कि आईपीएच विभाग सीवरेज की गंदगी को रोकने के लिए बोरियों का सहारा ले रहा है। टूटी हुई सीवरेज की लाईन को बोरियों से बांधा गया है लेकिन गंदगी फिर भी बाहर आ रही है और सीधे सुकेती खड्ड में जाकर प्रदूषण फैला रही है। लोगों का कहना है कि सीवरेज लाइन के टूटे होने के कारण सारी गंदगी नीचे गिर रही है जिससे उनका जीना मुहाल हो गया है। वे लोग बदबू के कारण बीमारी का शिकार हो जाएंगे। एक तरह से नरकीय स्थिति यहां पर बनी हुई है मगर विभाग पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है।
सात साल पहले इसके समानांतर एक नई लाइन डाल कर रामनगर की एक बड़ी आबादी की सीवरेज को इससे जोड़ कर दो अलग-अलग लाइनों से गुजारने की योजना शुरू हुई थी। लाखों रुपए खर्च करके डाली जा रही नई लाइन में पाइपें भी डाल रखी हैं, चैंबर भी बना रखे हैं मगर इसका काम फाइनल नहीं किया जा रहा है, जिससे सात साल बाद भी इस लाइन को शुरू नहीं किया जा सका है। हर दर्जे की देरी के कारण लाखों खर्च करके बनाई गई लाइन भी जर्जर होने लगी है। विभाग का ठेकेदार साल में एक दो सप्ताह काम चला कर फिर गायब हो जाता है।
नतीजा यह है कि पहले वाली लाइन बंद है, लोग रोजाना शिकायत कक्ष में शिकायत दर्ज करवाते हैं, कर्मचारी आते हैं वह बंद पड़ी लाइन को किसी एक जगह से पेंचर करके उस पर पत्थर रख कर ढक देते हैं या बोरियां बांध कर सीवर को रोकने की असफल व हास्यास्पद कोशिश करते हैं, लाइन से रोजाना गुजरते बंदर आकर पत्थरों को गिरा देते हैं या बोरियों को फाड़ देते हैं, सीवर सीधे सुकेती खड्ड में समा जाता है।
वहीं जब इस बारे में आईपीएच विभाग के अधीक्षण अभियंता हंस राज सैनी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पुरानी लाईन की जल्द ही मुरम्मत करवा दी जाएगी और नई लाईन को जल्द से जल्द शुरू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ठेकेदार की लापरवाही के कारण लाईन शुरू करने में देरी हुई है और इसके लिए ठेकेदार को जुर्माना भी लगा दिया गया है।