मंडी (वी कुमार) : जिस वार्ड में मरीजों के लिए 50 बिस्तरों की सुविधा हो और वहां 150 मरीज पहुंच जाएं तो सोचिए उस वार्ड का क्या हाल होगा। इन दिनों ऐसी स्थिति से जिला का जोनल अस्पताल जूझ रहा है। यहां मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है और पैदल चलने की जगह सिकुड़ती जा रही है।
जोनल अस्पताल का गायनी वार्ड इन दिनों पूरी तरह से ओवरलोड़ चल रहा है। रोजाना गर्भवती महिलाओं के आने का सिलसिला जारी है और इन गर्भवती महिलाओं को जमीन पर लेटकर प्रसव पीड़ा झेलनी पड़ रही है। ओवरलोडिंग का कारण कुल्लू से यहां भेजी जा रही गर्भवती महिलाएं हैं। कुल्लू में स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने के कारण वहां से महिलाओं को प्रसव के लिए जिला के जोनल अस्पताल में भेजा जा रहा है।
जिला में भी सिर्फ जोनल अस्पताल में ही स्त्री रोग विशेषज्ञ मौजूद हैं जबकि 10 लाख से अधिक की आबादी वाले इस जिला के दूसरे स्वास्थ्य संस्थानों में स्त्री रोग विशेषज्ञों के पद खाली चल रहे हैं। जोनल अस्पताल के गायनी वार्ड में 50 बिस्तरों की सुविधा है जबकि मौजूदा समय में यहां पर मरीजों की संख्या 150 तक पहुंच गई है। एक बिस्तर पर दो-दो मरीजों को अडजेस्ट करने के बाद भी जब कोई चारा नहीं बचा तो फिर गर्भवती महिलाओं या अन्य मरीजों को जमीन पर लेटाना पड़ रहा है।
गायनी वार्ड की गैलरी पूरी तरह से गर्भवती महिलाओं से भर गई है और यहां पैदल चलने की जगह तक नहीं बची है। बीते कुछ दिनों से गायनी वार्ड का यही आलम है। सुबह यहां सही ढंग से साफ-सफाई भी नहीं हो पा रही है, क्योंकि मरीजों को हटाना मुश्किल हो रहा है। कुल्लू से आई महिलाओं ने बताया कि यहां उन्हें परेशानियां बेशक झेलनी पड़ रही हैं लेकिन डाक्टरों का ईलाज जरूर मिल रहा है। महिलाओं ने राज्य सरकार से कुल्लू में स्त्री रोग विशेषज्ञों को तैनात करने की मांग उठाई है ताकि उन्हें प्रसव करवाने के लिए इतनी दूर आकर परेशानियां न झेलनी पड़े।
ज्ञात रहे कि जोनल अस्पताल में डाक्टरों की तो कोई कमी नहीं है लेकिन जिला के बाकी संस्थानों में और पड़ोसी जिला कुल्लू में कोई स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने के कारण यहां व्यवस्था चरमरा गई है। ऐसे में सवाल सरकार की कार्यप्रणाली पर उठना लाज्मी है कि आखिर क्यों गर्भवती महिलाओं को घर द्वार पर प्रसव की सुविधा नहीं दी जा रही। क्यों इन्हें डाक्टरों की कमी के कारण इतनी दूर तक आकर परेशानियां झेलने के लिए मजबूर किया जा रहा है।