नाहन (एमबीएम न्यूज): शहर के ऐतिहासिक चौगान मैदान में एक किनारे पड़ा क्रिकेट पिच रोलर अपनी बेकद्री पर आंसू बहा रहा है। चार साल बाद एंटीक हो जाएगा। दरअसल 1921 में क्रिकेट पिच रोलर बना था। 30 के दशक में रोलर यहां पहुंचा था। हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन संभावना है कि इसे इंगलैंड से आयात किया गया होगा। लगभग 2 टन वजनी इस रोलर से एक दशक पहले तक क्रिकेट की पिच को समतल किया जाता था। इसे खींचने वाला लोहे का हत्था टूट चुका है।
गनीमत यह है कि वजनी होने के कारण इसे चोरी नहीं किया जा सकता। दरअसल यह माना जाता है कि कोई भी वस्तु अगर 100 साल पूरे कर लेती है तो उसे एंटीक का दर्जा मिल जाता है। 1621 में बसे शहर को हैरीटेज टाउन का दर्जा मिल सकता था, लेकिन कोई प्रयास नहीं हुआ। विशेषज्ञ कहते हैं कि क्रिकेट पिच रोलर के हत्थे को तलाश कर इसे फंक्शनल किया जा सकता है। लापता हुए हत्थे का वजन 40 से 50 किलो के आसपास का बताया गया। सवाल यह है कि इस तरह की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी किसकी है।
विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि अगर कभी शहर को हैरीटेज टाउन घोषित करने की कवायद शुरू होती है तो क्रिकेट पिच रोलर की की शहर में मौजूदगी भी अहम होगी। इस रोलर पर इसके उत्पादन का साल भी दर्शाया गया है। पड़ताल के दौरान यह भी बात सामने आई है कि इस रोलर में इस्तेमाल लोहे की गुणवत्ता जबरदस्त है। आज तक इस पर मामूली सा भी जंग नहीं लगा है। इतिहासकार व राजघराने के सदस्य कंवर अजय बहादुर सिंह का कहना है कि निश्चित तौर पर एंटीक है। उन्होंने कहा कि अपने स्तर पर उन्होंने इसे संरक्षित करने का प्रयास किया था। बहरहाल म्यूजियम की शान बनने के लायक इस रोलर की कोई कदर नहीं की जा रही।
फोटो साभार : अजय धीमान