मंडी(वी कुमार): जिला को हवाई सेवाओं के साथ जोड़ने की योजनाएं हवा-हवाई हो चुकी हैं। कभी एक स्थान पर एयरपोर्ट बनाने की बात कही जाती है तो कभी दूसरे स्थान पर, लेकिन धरातल पर काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। यहां सर्वे पर आकर हवाई सेवाओं का सपना क्रैश हो जाता है जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
हिमाचल प्रदेश के केंद्र में बसा जिला लंबे समय से हवाई सेवाओं के साथ जुड़ने के सपने देख रहा है। यहां वर्षों से एयरपोर्ट बनाने की योजनाएं फाईलों में घुमकर दफन होती जा रही हैं जबकि धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है। जिला में सबसे पहले बल्ह घाटी में एयरपोर्ट बनाने की योजना बनी। यहां पर सर्वे हुआ, जमीन का चयन करने तक बात पहुंच गई लेकिन बल्ह घाटी की धूंध ने सारा काम बिगाड़ दिया। अत्याधिक धूंध होने के कारण एयरपोर्ट के निर्माण की बात फाईलों में ही दफन होकर रह गई।
इसके बाद मंडी और बल्हघाटी के मध्य का प्वाईंट नंदगढ़ सिलेक्ट किया गया। यहां पर भी सर्वे हुआ और उसके बाद हवाई सेवाओं का प्लेन फाईलों में क्रैश हो गया। फिर तीसरे स्थान की बारी आई। पधर उपमंडल की घोघरधार का चयन एयरपोर्ट निर्माण के लिए किया गया। मौजूदा केंद्र सरकार की टीम यहां पर भी सर्वे करके गई है लेकिन यहां की बात भी सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई है। इस कारण लोगों को ऐसा लग रहा है कि रेल सेवाओं की भांति हवाई सेवाओं का भी उन्हें सिर्फ लॉलीपॉप दिखाया जा रहा है और सर्वे के नाम पर गुमराह किया जा रहा है।
बता दें कि जिला में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और प्रदेश के लिहाज से यह दूसरा सबसे बड़ा जिला है। कुल्लू जिला के भूंतर में एक एयरपोर्ट है लेकिन वहां पर बड़े जहाज नहीं उतर पाते, इसलिए मंडी में बड़ा एयरपोर्ट बनाने की योजना चल रही है। सांसद राम स्वरूप शर्मा जिला में एयरपोर्ट न बनने का ठीकरा राज्य सरकार पर फोड़ रहे हैं। सांसद के अनुसार प्रदेश सरकार ने घोघरधार के एयरपोर्ट की डीपीआर नहीं बनाई जिस कारण काम रूका हुआ है, क्योंकि जमीन राज्य सरकार द्वारा मुहैया करवाई जानी है।
जब प्रदेश में भाजपा सरकार बनेगी तो इस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर करवाया जाएगा। बहरहाल प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी यह तो 18 दिसंबर को पता चलेगा लेकिन अभी तक के हालातों से यही प्रतीत हो रहा है कि एयरपोर्ट का सपना हर बार दो दलों की सियासत के बीच क्रैश होता जा रहा है। भविष्य में न जाने कब इसकी सफल लैंडिंग हो पाएगी।