सराहां (एमबीएम न्यूज): समाज की रूढि़वादी बंदिशों को तोडक़र भी कुछ युवा समाज को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास करते हैं। 20 साल की छोटी सी उम्र में पूजा ने एक सडक़ हादसे में पति को खो दिया था। विधवा पूजा के सामने नन्हीं बेटी राधिका की परवरिश की बड़ी जिम्मेदारी भी थी। इसी बीच कृषि एवं ग्रामीण बैंक में पार्ट टाइम नौकरी करने वाला सुनील उसके जीवन में आया।
सुनील चाहता तो अपनी बिरादरी की लडक़ी को जीवन संगिनी बना सकता था, लेकिन पूजा से शादी करने का ऐसा फैसला लिया, जो आज मिसाल से कम नहीं है। वीरवार को शिव मंदिर में गाजे-बाजे के साथ सुनील ने पूजा के संग सात फेरे लिए। सबसे अहम बात यह थी कि पूजा का मायका मानगढ़ में है, लेकिन ससुराल पक्ष ने उसे बेटी बनाकर विदा किया। सुनील की मिसाल में दूसरी बड़ी बात यह भी है कि उसने पूजा की नन्हीं बेटी को भी कानूनन गोद ले लिया है। यानि नन्हीं बच्ची को भी पिता का साया नसीब हो गया है। 11 जुलाई 2015 को पूजा के पति की एक सडक़ हादसे में जान चली गई थी।
पूजा की विदाई में उसके ससुर जागर सिंह की आंखें भरी हुई थी। उनका कहना था कि हमारे जीते जी तो पूजा घर में रह लेती, मगर उनके दुनिया छोडऩे के बाद क्या होता, यही चिंता उन्हें सताए जा रही थी। अब उनकी चिंता दूर हो गई है। सराहां ग्राम पंचायत के आंजी गांव के 26 वर्षीय सुनील का संबंध कृषक परिवार से है। सुनील के सिर से भी बचपन में पिता का साया उठ गया था। पूजा के पिता भी काफी पहले चल बसे थे। सुनील ने कहा कि जान पहचान पुरानी नहीं है, सब कुछ एक महीने पहले ही तय हुआ।
बेटे के फैसले से मां भी खुश
रिश्ते में पूजा की सास व सुनील की 65 वर्षीय मां कमला भी बेटे के इस फैसले पर बेहद खुश है। उन्होंने कहा कि आज के जमाने में ऐसा होना मुश्किल है। घर पर पूजा जैसी बहू आई है तो साथ ही राधिका के रूप में लक्ष्मी आई है, यह बेहद सौभाग्य की बात है।
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