मंडी (वी कुमार): जिला के सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में हर बार की तरह इस बार भी चुनावों की मुख्य टक्कर कांग्रेस और भाजपा में ही है। कभी कांग्रेसी नेता रंगीला राम राव की विरासत समझी जाने वाली इस सीट से इस बार इन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिला। लगातार दो बार मिली हार के कारण पार्टी ने जिलाध्यक्ष और युवा नेता पवन ठाकुर को चुनावी रण में उतारा है जबकि भाजपा ने लगातार दो बार जीत चुके मौजूदा विधायक कर्नल इंद्र सिंह को फिर से मैदान में भेजा है।
हालांकि यहां पर माकपा से मुनीश शर्मा, बसपा से राजकुमार, लोक गठबंधन पार्टी से पारो देवी और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जगदीश चंद, मोती राम, संजीव कुमार तथा हेमराज भी चुनावी मैदान में हैं। मौजूदा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा में ही नजर आ रहा है। कर्नल इंद्र सिंह पूर्व सीएम प्रो. प्रेम कुमार धूमल के काफी करीबी हैं। बीते दस वर्षों से विधायक हैं। मौजूदा समय में सरकार द्वारा सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र की बातों को अनसुना करने का आरोप लगा रहे हैं।
इंद्र सिंह का आरोप है कि पांच वर्षों में उन्होंने सदन में तो इलाके के कई मुद्दे उठाए लेकिन सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। इस बात को प्रमुख मुद्दा बनाकर वह जनता के बीच फिर से भाजपा सरकार बनाने को लेकर वोट मांग रहे हैं। मौजूदा विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी के इस आरोप का कांग्रेस प्रत्याशी भी करारा जबाव दे रहे हैं। एनएसयूआई से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाले पवन ठाकुर मौजूदा समय में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। जनता के बीच राज्य सरकार की उपलब्धियों और भाजपा विधायक की नाकामियों को लेकर वोट मांगने में लगे हुए हैं।
भाजपा प्रत्याशी द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को लेकर पवन ठाकुर का कहना है कि एक विधायक का रैंक चीफ सेक्रेटरी के बराबर का होता है और उनके आदेशों को सब मानते हैं लेकिन विधायक जी सही ढंग से अपनी बातों को रख ही नहीं पाए। पवन ठाकुर का कहना है कि इलाके के विकास का जिम्मा विधायक का होता है और वह इस बात से पल्ला नहीं झाड़ सकते। वहीं माकपा के प्रत्याशी मुनीश शर्मा भी सरकाघाट में अब तक रहे जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठा रहे हैं।
माकपा प्रत्याशी की मानें तो सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र यहां रहे जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार हुआ है और यही कारण है कि विधानसभा क्षेत्र काफी पिछड़ चुका है। मुनीश के अनुसार अब सरकाघाट की जनता बदलाव का मन बना चुकी है और इस बार बदलाव होकर रहेगा।
सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में जो आरोप प्रत्यारोपों का दौर चला है उससे हटकर अगर यहां पर चल रही चुनावी टक्कर की बात करें तो निर्दलीय प्रत्याशी इसमें अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में किसी निर्दलीय प्रत्याशी किसी एक दल को नुकसान न पहुंचाकर कांग्रेस और भाजपा दोनों के वोटबैंक पर सेंध लगाने जा रहे हैं।