शिमला(एमबीएम न्यूज) : वीआईपी नंबर का मोह अफसरहशाही ही नहीं, बल्कि विभागों के निदेशक भी दिखा रहे हैं। आरटीआई से मिली एक नई जानकारी के मुताबिक बागवानी विभाग के निदेशक ने एचपी 63डी-0001 नंबर के मोह के लिए एक लाख रुपए का खर्चा सरकारी खजाने से किया है। यह वाहन 7 दिसंबर 2016 को पंजीकृत हुआ। हैरानी इस बात की है कि एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन सरकार खामोश बैठी है। संभवत: चुनाव की दहलीज पर बैठी सरकार कोई सख्त कदम उठाकर अधिकारियों को नाराज नहीं करना चाह रही होगी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सबसे पहले खुलासा किया था कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन ने वीआईपी नंबर लेने के लिए सरकारी खजाने से एक लाख खर्च कर डाले। बोर्ड द्वारा रौब दिखाने के लिए जनता के पैसे को फूंक डाले। यह वाहन 12 मई 2016 को रजिस्टर्ड हुआ था। कांगड़ा के डीसी ने एसयूवी वाहन पर एक नंबर लेने के लिए 17 जुलाई 2017 को एक लाख खर्चे। तीसरा मामला शिमला के डीसी के वाहन से जुड़ा मिला। उपायुक्त शिमला ने एचपी 52सी-0001 के लिए जनता के एक लाख उड़ा दिए।
अब उद्यान विभाग के निदेशक की कारगुजारी सामने आई है। कांगड़ा के डीसी के वीआईपी नंबर के बारे में दलील दी गई है कि राशि का इस्तेमाल ई-गवर्नेस से किया गया। यह पैसा सरकार को ही जाता है। बेशक ही वाहन भी सरकारी है। खजाना भी सरकारी है। एक तरफ से निकल रहा है, दूसरी तरफ से जमा हो रहा है, लेकिन बड़ी बात यह है कि आम लोग वीआईपी नंबर लेने से वंचित हो रहे हैं। साथ ही सरकार को चूना भी लग रहा है।