हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : पूरे देश शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है। आज के दिन वैसे गुरुओं का जिक्र जरूरी है जो समाज के लिए मिशाल हैं। कहते हैं कि हाथ की लकीरें तकदीर बनाती और बिगाड़ती हैं। लेकिन किसी के हाथ ही न हों तो उसकी किस्मत कौन लिखे। हमीरपुर जिले के छोटे से गांव नौहंगी के रहने वाले राजेश कुमार की कहानी कुछ ऐसी ही है। बचपन से दोनों हाथों से महरूम राजेश की कुछ कर गुजरने की ऐसी लगन थी कि उसने अपने पैरों से ही अपनी तकदीर लिख डाली।
1987 में जन्मे राजेश कुमार को जब यह समझ आया कि उसके हाथ नहीं हैं तो पैरों से लिखने की शुरुआत की। मुश्किलें आने के बावजूद सरकारी स्कूल से मैट्रिक की पढ़ाई की। बिना किसी की मदद लिए पैरों की अंगुलियों में पेन फंसाकर पेपर दिए। कामयाबी भी हासिल की। जमा दो में अच्छे अंकों से पास होने के बाद राजेश ने ऑल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2007 में मेरिट के आधार पर राजेश का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी हमीरपुर में कंप्यूटर साइंस में एडमिशन हुआ। इस बीच राजेश की माता का देहांत हो गया। इसके बावजूद राजेश का हौसला नहीं डगमगाया और कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की।
स्कूल लेक्चरर परीक्षा पास कर आज वे हमीरपुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल जंदड़ू में कंप्यूटर साइंस के लेक्चरर पद पर सेवाएं दे रहे हैं। राजेश का कहना है कि अगर लक्ष्य को मन में ठान लें तो कुछ भी मुमकिन नहीं है। मुझे इस बात की खुशी है कि खाना-पीना, नहाना, कंघी करना, कंप्यूटर चलाना आदि जितने भी रोजमर्रा के कार्य हैं उन्हें करने में मुझे किसी की मदद नहीं लेनी पड़ती।