शिमला (एमबीएम न्यूज) : चार जुलाई को कोटखाई की गुडिय़ा ने ऐसी दरिंदगी का सामना किया, हर किसी के जान कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। गुडिय़ा को दुनिया छोड़े करीब-करीब दो महीने हो चले हैं। लेकिन ऐसे युग की शुरूआत हुई है, जो देवभूमि के इतिहास में पहली बार हुआ है। एक आईपीएस व एचपीएस अधिकारी सलाखों के पीछे चले गए हैं। यह बात किसी ने सपने में भी नहीं सोची होगी।
सबसे बड़ी बात यह है कि अब अगर भविष्य में किसी गुडिय़ा के साथ दरिंदगी हुई तो खाकी आक्रामक तरीके से कार्रवाई करेगी, क्योंकि सबक मिल चुका है। आज गुडिय़ा की वजह से ही खाकी का सिर शर्म से झुका हुआ है। न जाने पहले कितनी ऐसी गुडिय़ा होंंगी, जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला, लेकिन आने वाले समय में पुनरावृति न होने की संभावना भी पैदा हो चुकी है। 4-5 जुलाई 2017 ही गुडिय़ा का इस दुनिया में आखिरी दिन था। इन दो महीनों में सूबे में बहुत कुछ बदल चुका है।
गुडिय़ा के जाने के बाद राज्य में इसी तरह के कुछ अन्य मामले भी ढीली जांच से आगे बढ़ रहे थे, लेकिन गुडिय़ा ने उन मामलों पर भी खाकी को सख्त कार्रवाई करने पर विवश कर दिया। नतीजा यह हुआ कि गुनाहगार सलाखों के पीछे हैं। इसमें कुल्लू की निर्भया का मामला अहम है। खास बात यह है कि गुडिय़ा को न्याय दिलवाने के लिए आम जनता का गुस्सा जिस पैमाने पर था, आज भी उसी पर बरकरार है। बुधवार को भी पुलिस मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन हुआ। समूची राजधानी को छावनी में तबदील कर दिया गया।
हिमाचल प्रदेश पुलिस ने मामूली सी भी कल्पना नहीं की होगी कि गुडिय़ा एक नए युग की शुरूआत कर जाएगी। जिसमें महकमे का आईजी ही गिरफ्तार होगा। सनद रहे कि यह साफ हो चुका है कि प्रदेश में यह पहली बार ही है, जब प्रदेश में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी को सलाखों के पीछे जाना पड़ा है।