मनाली, (एमबीएम ब्यूरो): पर्यटन नगरी में रीढ की हड्डी रोहतांग दर्रे पर एनजीटी ने अपने फैसले में बदलाव किया है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने तीन महीनों के लिए नई व्यवस्था दी है। इसके तहत रोहतांग दर्रे पर हर रोज एक हजार वाहनों को जाने की अनुमति होगी। इसमें 600 पैट्रोल व 400 डीजल वाहन शामिल होंगे। पैट्रोल वाहन से एक हजार रूपए का शुल्क वसूला जाएगा, जबकि डीजल वाहन पर 2500 रूपए का शुल्य तय किया गया है। इसके अलावा 6 से अधिक सीट की क्षमता वाले वाहनों का शुल्क 5 हजार रूपए तय किया गया है। इन वाहनों को भारत स्टेज-4 (बीएस) मापदंडों को पूरा करना होगा। अहम बात यह भी है कि बीएस के तहत वाहनों का ईंधन देश में केवल 40 शहरों में उपलब्ध है। लिहाजा राज्य सरकार को यह ईंधन मनाली में उपलब्ध करवाना होगा।
इस ईंधन में सलफर की मात्रा कम होने के कारण वायु प्रदूषण कम होता है। सीमित शहरों में ही यह ईंधन उपलब्ध होने के कारण वाहन चालकों को बीएस-3 का इस्तेमाल करना पड़ता है। एनजीटी ने पहले एक मई से डीजल वाहनों के रोहतांग दर्रे पर प्रवेश की रोक लगा दी थी। इसके बाद इस मियाद को 5 मई तक बढ़ा दिया गया था। हालांकि एचआरटीसी बसों, सेना के वाहनों के अलावा लेह की तरह जाने वाले डीजल वाहनों को छूट दी गई थी। लेकिन पर्यटन नगरी में रोहतांग दर्रे पर डीजल वाहनों के प्रतिबंध से हड़कंप मचा हुआ था।होटलियर एसोसिएशन, टैक्सी यूनियन व अन्य संगठन भी इस फैसले पर खुलकर नाखुशी जता रहे थे। उधर स्नो स्कूटर व ढाबा यूनियन की एनजीटी में पैरवी कर रहे अधिवक्ता अमित वैद्य ने एनजीटी के फैसले में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा कि यह व्यवस्था तीन महीनों के लिए लागू की गई है। उन्होंने कहा कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की वेबसाइट पर आदेश की प्रति एक-दो घंटे तक अपलोड हो जाएगी।