बिलासपुर (अभिषेक मिश्रा) : जिला के जुखाला क्षेत्र की कोटला पंचायत के गांव निहारखन
निवासी पवन ठाकुर ने अपनी भूमि में कॉफी के पौधों का बगीचा तैयार कर इसे व्यावसायिक तौर पर अपनाने का फैसला लिया है। युवा बागवान ने अपनी इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए निजी भूमि में कॉफी के 100 पौधे लगाएं हैं। युवा बागवान पवन ठाकुर का कहना है कि उन्हें कॉफी को व्यावसायिक तौर पर अपनाने की प्रेरणा राष्ट्रीय कॉफी बोर्ड सदस्य घुमारवीं निवासी विक्रम शर्मा से मिली जो घुमारवीं में इसका सफलतापूर्वक व्यावसायिक तौर पर उत्पादन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उसने सबसे पहले इस नकदी फसल को उगाने की बारीकियां जानने की पहल की, जिसके लिए उसने लगभग एक वर्ष पूर्व आंध्र प्रदेश के कॉफी उत्पादक किसानों से इसे उगाने, पौधों की देखभाल तथा रखरखाव की जानकारी हासिल की। इसके पश्चात जब वह वापस लौटे तो मन में उन्होंने कॉफी की खेती करने की ठान ली। कॉफी के नर्सरी से पौधे लेने की बजाय उन्होंने स्वयं बीजों से घर पर इसके पौधे तैयार किए। लगभग एक वर्ष की लंबी देखरेख के बाद यह पौधे लगाने के लिए तैयार हुए ।
उन्होंने बताया कि कॉफी के पौधों पर तीन वर्ष के बाद कॉफी के फल लगने शुरू हो जाते हैं। एक पौधे से कॉफी के 2.5 से तीन किलोग्राम के बीच शुष्क फल प्रतिवर्ष प्राप्त होते हैं। इसे बेचने में भी कोई परेशानी नहीं होती, क्योंकि कॉफी बोर्ड ही इसे स्वयं खरीद लेता है। कॉफी का बाजार भाव अधिक होने के कारण बागबानों को इसके अच्छे दाम मिलते हैं।