चम्बा (एमबीएम न्यूज़) : डॉ. संजीव शर्मा सुपुत्र हरनाम शर्मा एवं माता वयाशो देवी जोकि जनजातीय क्षेत्र भरमौर गांव के जगत गद्दी समुदाय से हैं उनका चयन देश के सर्वोत्तम विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सीएसआरडी के भूगोल विभाग में चयन हुआ है। डॉ. संजीव शर्मा जिला चम्बा से प्रथम व्यक्ति हैं जिनका चयन जेएनयू में प्राध्यापक के पद पर हुआ है।
डॉ. संजीव शर्मा वर्तमान में पिछले चार वर्षो से डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर (मध्य प्रदेश) में भूगोल विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर अपनी सेवाएं देने के बाद अब जेएनयू में अपनी सेवाएं देंगे। इससे पहले उन्होंने भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुंसधान संस्थान, मोहाली से दो वर्ष का पोस्ट डॉक्टरेट फेलोशिप किया है। उससे पहले वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फेडरेशन-इंडिया में वरिष्ठ परियोजना अधिकारी के रूप में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, एवं जम्मू-कश्मीर के लेह-लद्दाख में उच्च-नमभूमि के सरक्षण में कार्य किया है।
डॉ. शर्मा का पीएचडी का शोध कार्य हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला व् गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान जोकि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का एक प्रमुख शोध संस्थान है से किया है। डॉ. शर्मा की प्राम्भिक शिक्षा राजकीय प्राथमिक पाठशाला जगत गॉव से हुई। उसके उपरांत उनका चयन जवाहर नवोदय विद्यालय सरोल से दसवीं तथा बारहवीं जवाहर नवोदय विद्यालय ठियोग, शिमला से की है।
डॉ. शर्मा कैंब्रिज विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम में भी अपना शोध कार्य प्रस्तुत कर चुके हैं। उन्हें वर्ष 2011 में भारतीय यंग भूगोलवेत्ता के अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अतिरिक्त उन्हें यूजीसी से कई फ़ेलोशिप मिली हैं। उनकी राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 35 से अधिक अति मूल्यावान शोध प्रकाशन हुए हैं। डॉ. शर्मा ने अपनी इस उपलब्धि के लिए भगवान, माता-पिता, परिवार, मित्रो, समस्त शिक्षको, धर्मपत्नी पूनम शर्मा, पुत्री अन्वेषा शर्मा एवं विशेष रूप से विश्विद्यालय एवं जवाहर नवोदय विद्यालय के समस्त शिक्षको के सहयोग के लिए हार्दिक धन्यवाद किया है।
डॉ. शर्मा का कहना है कि उन्हें जो शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय में मिली है। यह आज उसकी का नतीजा है जो इस पद पर पंहुचा हूँ। अन्यथा अति पिछड़े परिवार वह क्षेत्र से समंवधित होने के नाते इतनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाना संभव नहीं था। उन्होंने कहा कि जवाहर नवोदय विद्याला की शिक्षा के कारण ही आज मैं इस मुकाम तक पहुंचा हूँ तथा उन्हें यह सफलता मिली है।
उनका कहना है की नवोदय की शिक्षा ऐसी है जैसे कोयले की खान से हीरे की ढूंढ कर लाना हो और उन्हें आशा है कि भविष्य में भी नवोदय से कई प्रतिभाएं उभर कर सामने आएगी और देश सेवा में अपना योगदान देंगे। डॉ. शर्मा क्षेत्रवासियोँ एंव नवोदय के छात्र एंव छात्राओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं।